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पुरुष धर्म

अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा

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उर्मिला से वनगमन की सहमति नहीं ली
बस भातृधर्म का पालन कर लिया तुमने
आरती की थाली में दीपक सजाकर वो
स्व के हर मनोभाव को अंतर्सात कर
विदा करती निसंकोच करने वचन पालन
और तुम बिठा देते हो देवी के पद पर
बिना जानकारी दिये उस सरल स्त्री की
अतृप्त अंतह् में मचलती दबी हर इच्छा
उसे स्त्री धर्म के नाम पर करके कुर्बान
क्योंकि तुम हो समाज के प्रतिष्ठित पुरुष
पुरातन से आजतक रहोगे निर्णय कर्ता
कभी स्वयं भी करो न तुम धर्म निर्वहन
झुक कर लगा दो तुम भी लाल टीका
कर दो दीपक को सजाकर थाल में
बिना किसी तर्क के धर्म पालन हेतु विदा
उसे तुम भी इक जलते हुए दीपक के
इंतज़ार और पुरुष धर्म के विश्वास साथ
बस जिस दिन उसके निर्णय को सहजता
और पवित्रता से आत्मसात करके तुम
करते मिलोगे उस उर्मिला का इंतजार
लक्ष्मण तभी सही मायने में हो जाओगे
भगवान बनकर उस अर्थ पूर्ण पद पर
आसीन और समाप्त हो जाएगा स्वत:
स्त्री और पुरुष का बना सनातनी भेद

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परिचय :-  नाम : अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच
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