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आईना ऐसा बना दे

वीणा वैष्णव “रागिनी” 
कांकरोली

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हे प्रभु,एक आइना, अब तू कुछ ऐसा बना दे।
उसमें सूरत नहीं, सिर्फ उनकी सीरत दिखा दे।

लोगों को पहचानना, थोड़ा आसान बना दे।
या पहचानू उनको, ऐसा हुनर मुझे सीखा दे।

मुंह राम बगल में छुरी, लिए घूम रहे हैं सब।
कैसे करूं परख, पारखी नजर मुझको दे दे।

बहुत मुश्किल है, किसी पर विश्वास करना।
उनको बेनकाब कर, हकीकत अब दिखा दे।

ना कोई राग द्वेष हो, तू सिर्फ इंसान बना दे।
हैवानियत का पर्दा हटा, प्रेम रहना सिखा दे।

भूला हुआ चेहरा, उन्हें आईने में तू दिखा दे।
हो जाए कभी गुनाह, तो नेक राह तू ला दे।

आईना देख, अपने चेहरे नकाब खुद हटा दे।
ज्यादा नहीं, बस थोड़ा मन विश्वास जगा दे।

कहती वीणा, हे प्रभु अब कोई राह दिखा दे।
अपनी बनाई दुनिया फिर से, जन्नत बना दे।

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परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव “रागिनी” वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


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