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महावीर चन्द्रबरदाई

विमल राव
भोपाल मध्य प्रदेश
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महावीर बलिदानी था वो
निडर गया था गज़नी में।
पृथ्वीराज का मान बचाने
शौर्य दिखाया गज़नी में॥

समकालीन बहुत थे शासक
क्षत्रित्व नही था उनमे भी।
पृथ्वीराज को बचा सके जो
वह शौर्य नही था उनमे भी॥

बाल सखा सामंत चन्द्र नें
तब अपना शौर्य जगाया था।
जा गज़नी की धरती पर
उस गौरी को मरवाया था॥

नैत्रहीन उस पृथ्वीराज को
सखा चन्द्र नें समझाया।
शब्द भेदी विधा से उसनें
गौरी को था मरवाया॥

ऐसे वीर बलिदानी को
देश भूल ना पायेगा।
हैं कवि चन्द्रबरदाई तुमको
जन मानस शीश नवायेगा॥

परिचय :- विमल राव “भोपाल”
पिता – श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया।
निवास – भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र)
विशेष : कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव – अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र,
रचनाएँ : हम हिन्दुस्तानी, नई दुनिया, पत्रिका, नवभारत देवभूमि, दिन प्रतिदिन, विजय दर्पण टाईम, मयूर सम्वाद, दैनिक सत्ता सुधार में आए दिन लेख एवं रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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