रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.
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पावन पोरबंदर के परम प्रिय पुत्र
गुजरात के गर्व और गौरव
भारतभू के परिचायक
भारतीय संस्कृति के गुणगायक
भारतीय भाषाओँ के संरक्षक
हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के अभिलाषी
विश्वदृष्टा ऐतिहासिक युग-पुरुष
मनसा वाचा कर्मणा सत्याग्रही
अहिंसा के ध्वजवाहक
प्रेम के पोषक-प्रचारक
कुशल वक्ता लेखक संपादक
विश्वबंधुत्व के पक्षधर
साबरमती के ‘बापू’
गुरुदेव के शब्दानुसार ‘महात्मा’
नेताजी के मतानुसार ‘राष्ट्रपिता’
राजनीतिज्ञों में संत
संतों में राजनीतिज्ञ
रंगभेद नीति विरोधी
महान मानवतावादी
दलित-पीड़ित-शोषित के अभिभाषक
स्वदेशी जागरण के प्रणेता
सशक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
राष्ट्रीय आंदोलनों के सूत्रधार
राष्ट्रीय एकता के संदेशवाहक
“सादा जीवन उच्च विचार” के
अनुकरणीय उदाहरण
महादर्शवादी महानायक
जिनका जन्म दिवस ‘अहिंसा दिवस’
और पुण्य तिथि ‘शहीद दिवस’
उन्हें शत-शत प्रणाम!
अगणित सलाम!
परिचय – रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की शपथ ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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