Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

महाभारत चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.
*******************

महभारत महकाव्य है, वेद व्यास का गान।
एक लाख इश्लोक हैं, कहत हैं कवि मसान।।

वेद व्यास ने ग्रंथ बनाया।
महभारत जब नाम धराया।।१

एक लाख सब श्लोक रचाये।
संत मुनी सबके मन भाये।।२

पर्व अठारह सकल कहानी।
कौरव पांडव कथा बखानी।।३

आदि सभा आरण्य विराटा।
करण उद्योग भीषम द्रोणा।।४

शल्य सौप्तिकआश्रम वासिक।
स्वर्गारोहण महप्रस्थानिक।।५

इस्तरि शांति अश्वामेधिक।
पर्व अठारह अनुशासनइक।।६

ब्रह्मा से मुनि अत्रि आये।
चन्द्र बुध पुरुवा कहलाये।।७

आयु नहुष ययाति राजा।
पुरुभरत कुरु शांतु समाजा।८

शांतनु गंगा भीषम जाये।
सत्यवती से ब्याह रचाये।९

चित्रांगद विचित्र वीरा।
भ्राता गंगासुत मति धीरा।।१०

भीषम काशीराज हराये।
अंबे अंबिक कन्या लाये।।११

व्यास दृष्टि धृतराष्ट्र बुलाये।
अंबालिक ने पांडू जाये।।१२

फिर दासी हॅंस आगे आयी।
विदुर मुनी सा बेटा पाई।।१३

राजा पांडव की दो रानी।
धृतराष्ट्र गंधारी आनी।।१४

कुंती सूरज कर्ण बुलाये।
यदु अर्जुंन फिर भीमा जाये।।१५

कोख मादरी नकु सहदेवा।
आयुर्वेदा ज्योतिष सेवा।।१६

सौ पुत्रन गंधारी जाये।
दुर्योधन उन जेठ कहाये।।१७

खांडव वन की करी सफाई।
इन्द्रप्रस्थ नगरी बनवाई।।१८

धृष्टराष्ट्र मन इर्ष्या आई।
पांडव संगे जाल रचाई।।१९

सभा पर्व में लग दरबारा।
चौंसर का जब भया जमारा।।२०

कपटी शकुनी भेद बताए।
एक-एक कर धर्म हराए।।२१

अंतिम दाव में द्रोपदि हारे।
दुःशासन ने चीर उतारे।।२२

रोवत रानी करुण पुकारी।
लाज बचाई कृष्ण मुरारी।।२३

पांडव पांच भये वनवासी।
बारह बरस अरण्या वासी।।२४

तेरहवे में अज्ञात बिताये।
राज विराटा शरणा पाये।।२५

मुरलीधर ने दी समझानी।
दुर्योधन ने एक न मानी।।२६

आमे सामें अर्जुन देखा।
परिजन गुरु युद्ध के भेखा।२७

रणभूमी से परे पिछाई।
तब मोहन ने गीता गाई।।२८

गांडीव हाथ लड़ते पारथ।
मदन सारथी बन हांके रथ।।२९

सेनापति बन भीषम आये।
लाखो सैनिक मार गिराये।।३०

द्रोण पर्व में भई लड़ाई।
चक्र व्यूह गुरुदेव रचाई।।३१

सात द्वार का किला बनाया।
अभिमन्यू को मार गिराया।।३२

अर्जुन द्रोणा जयद्रथ मारा।
करण मौत से हा हा कारा।।३३

दुर्योधन दुःशासन मारे।
शल्यराज भी स्वर्ग सिधारे।।३४

गंधारी ने किया विलापा।
कुंतीधृष्टा सह वन आपा।।३५

शर शैया पे तात सुनाई।
अनुशासन की बात बताई।।३६

अंतिम रात बड़ी दुखारा।
अश्वत्थामा ने सोवत मारा।।३७

अश्वमेध यज धरम कराया।
विजयविश्व झंडा लहराया।३८

मूसल से जब बनी कृपाणा।
यादव एक एक को मारा।।३९

हरिवंश में सब समझाया।
सार सार महभारत गाया।।४०

पांडव पाॅंच स्वर्ग गये, करते प्रभु का गान।
जीत धरम की होत है, कहत हैं कवि मसान।।

परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *