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प्यार ऐसा ही होता

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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धड़कन की चाल
बढ़ सी जाती जाने क्यों
जब तुम सामने से गुजरती
आँखों में अजीब सा चुम्बकिय प्रभाव
छा सा जाता
शब्दों को लग जाता कर्प्यू
देह की आकर्षणता
या प्यार का सम्मोहन
कल्पनाएं श्रृंगारित
आइना हो जाता जीवित
राह निहारते बिना थके नैन
पहरेदार बने इंतजार के
प्यार के लहजेदार शब्द
लगे यू जैसे वर्क लगा हो मिठाई में
संदेशों की घंटियां
घोल रही कानों में मिश्रिया
इंतजार में नाराजगी
वृक्षों को गवाह
तपती धूप ,बरसता पानी
फूलों की खुशबू
लुका छुपी का खेल
होता है प्यार में
विरहता में प्यार छूटता
रेलगाड़ी की तरह
बीती यादों के सिग्नल तो
अपनी जगह ठीक है
उम्र की रेलगाड़ी
अब किसी स्टेशन पर रूकती नहीं
प्यार का स्टेशन
उम्र को मुंह चिढ़ा रहा
जब उम्र थी तब बैठे नहीं गाड़ी में
आखरी डब्बे का गार्ड
दिखा रहा झंडी।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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