रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.
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प्रेम के जादू ने निष्ठुर काल के क्रम को छला है।
प्रकृति विस्मित हुई है आज गत कल में ढला है।
कल्पना के कक्ष में संभव हुआ है प्रिय मिलन,
दृश्य आलोकित हुए हैं स्मृति-दीपक जला है।
बांटते सद्भावना भी, प्यार भी।
बदलते संसार का व्यवहार भी।
बनाते पुल,ध्वंस्त करते भित्तियाँ,
साधुओं से कम नहीं त्यौहार भी।
जो जीत सके न उर अरि का वह जीत नहीं।
जो मोह न ले मन मानव का वह गीत नहीं।
है प्रीत वही जिसमें दो मन हों एक मगर,
जिसका आकर्षण हो शरीर वह प्रीत नहीं।
दिशा-दिशा में बढ़ रहा अब अपार अलगाव।
घृणा-बाढ़ में घिर रही सद्भावों की नाव।
प्रेम-कूल से आ रहा सतत् यही संदेश-
“विश्व-शांति सूत्र है सर्व धर्म समभाव।”
स्थगित संघर्ष कर सद्भावना स्वीकार कर।
सृजन स्वप्नों को सतत् संसार में साकार कर।
घृणा के आधार पर संभव नहीं हल ऐ मनुज,
है धरा परिवारवत तू प्रेम का विस्तार कर।
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परिचय –
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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