होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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प्रेम मार्ग अति कठिन, चलना होता मुश्किल,
जब तक राह नहीं चले, लगती है झिलमिल,
जब चल पड़ते राह पर, कठिन हो तिल तिल,
खुशी और गम मिले, मंजिल जब जाये मिल।
हीर-रांझा चले राह पर, अंतिम मौत ही पाई,
सोहनी और महिवाल ने, प्रेम पथ ही निभाई,
कभी-कभी इस मार्ग में, मिले बड़ी कठिनाई,
कभी-कभी इस राह में, ,चलकर नाम कमाई।
प्रेम पथ कांटों भरा होता, चलना संभल संभल,
प्रेम पथ पर चलकर ही, प्रेमी दूर जाता निकल,
प्रेम पथ एक दरिया हो, कितने हो चुके विफल,
प्रेमी दर्द में चलते रहते, अंत में होते हैं सफल।
प्रेम मार्ग पर जब चले थे, शीरी और फरियाद,
प्रेम बात जब चलती है, उनको करते सब याद,
प्रेमी युगल आगे बढ़ता नहीं करता वो फरियाद,
प्रेम पथ पर सफल रहा, जग करता उनको याद।
प्रेम पथ एक सागर है, कितनों ने नैया उतारा है,
कुछ उतर गये कुछ डूबे, कितने जन पछताए हैं,
कितने इस अग्निकुंड में गिरे, बन गई मुट्ठी राख,
बहुत कम अमृत रस पीकर, बचाई अपनी साख।।
परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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