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प्रेम सदा जिंदा रहता है

गरिमा खंडेलवाल
उदयपुर (राजस्थान)
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दशक उम्र के बीत जाए
जवानी पर चांदी चढ़ती जाए
शहर बदल ले जीने के सलीखे
मेरी यादो से दूर जाएगी कैसे
प्रेम सदा जिंदा रहता है मिटाएगी कैसे

जीवन की हजार समस्याएं
दुनियादारी की समझाइशे
मौसम पर चढ़ जाए धुंध की चादर
जो लम्हा जी लिया उसे भूलाएगी कैसे
प्रेम सदा जिंदा रहता है मिटाएगी कैसे

हर ख्वाहिश पर भगवान बदलते
हर मौके पर रिवाज बदलते
दिल तो तेरे पास भी एक ही है
सासो पर लिखा था नाम बदलेगी कैसे
प्रेम सदा जिंदा रहता है मिटाएगी कैसे

परिचय :- गरिमा खंडेलवाल
निवासी : उदयपुर (राजस्थान)
संप्रति : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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