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प्यार मैं सबसे करती हूं

डा. उषा गौर
इंदौर म.प्र.

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प्यार मैं सबसे करती हूं

ख्वाइश थी इतनी मेरी
इतना कुछ कर पाऊं मैं
जो खुशियां मैंने पाई
सबसे साझा कर जाऊं मैं

बचपन में इतनी ख्वाहिश थी
जल्दी बड़ी हो जाऊं मैं
बड़ी होकर अपने स्वभाव से
सबका दिल बहलाऊं मैं

एक अजब सी उलझन
बड़े होने पे समझ आई
जीना नहीं था अब आसान
हंसने में थी सबको कठिनाई

कैसा अजीब नजारा था
हर कोई दौड़े जा रहा था
किसी को किसी की जरूरत नहीं
हर कोई भागे जा रहा था
सब रेस में जीतना चाहते थे ,
ना पीछे छूटना चाहते थे

यह दौड़ क्या पाने की थी
यह अपना हुनर आजमाने की थी
कोई नेता कोई अभिनेता
कोई गायक कोई लेखक
अपने भाग्य को आजमाने
भटकते देखे कई शिक्षक
पर सब पर शासन करते देखे
हमने बड़े-बड़े भक्षक

देखती हूं मैं अब ये भी
जीवन में किसने क्या खोया
जीवन में किसने क्या पाया
और खुद को कितना आजमाया

जवानी तक तो सब मस्त थे
उसके बाद के रास्ते सब व्यस्त थे
उलझनों से अपनी सब त्रस्त थे

जब अपना जीवन शुरू किया
तब मैंने यह महसूस किया
हम फूल से पत्थर कब बन गए
धीरे-धीरे सब से कट गए

सोचा था जवान होकर हम
सुंदर सा घर बनाएंगे
ख्वाहिशें सब पूरी होंगी
रस्ते हंसते कट जाएंगे
जीवन की भागमभाग में
कुछ भी रहा ना हाथ में
तब मैंने यह महसूस किया
जीवन की इस राह में
सब कुछ पाने की आस में
हम कितनी दूर निकल आये
क्यों ना बैठके कुछ पल सुस्तायें
और वक्त के साथ बदल जायें
जब मरजी नाचें गायें
फिर खुद पर ही इतरायें

ये सोच के ही मन हर्षाया
निर्णय को फिर सही पाया
अपने जीवन को अपनी तरह
जीने का हक खुदको दिलवाया

अब मैं खुद खुश रहती हूं
और सबको भी खुश रखती हूं
खुद की परवाह के साथ-साथ
सबकी परवाह भी करती हूं
सबकी परवाह भी करती हूं

कोई मुझपे यकीन करें ना करें
खुद पे यकीं मैं करती हूं
खुदपे यकीं मैं करती हूं

कोई प्यार मुझसे करे ना करे
प्यार मैं सबसे करती हूं
प्यार मैं सबसे करती हूं

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परिचय :- 
डा. उषा गौर 
इंदौर म.प्र.


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