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मोहब्बत का नशा

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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मोहब्बत का नशा
बड़ा अजीब सा होता है।
जब मोहब्बत पास हो तो
दिल मोहब्बत से घबराता है।
और दूर हो तो मिलने को
बार बार बुलाता है।
और दिलों में एक
आग सी जलाये रखता हैं।।

दूर होकर भी दिल के
पास होने का एहसास हो।
मेरे दिलकी तुम ही साँस हो।
तभी तो ये पागल है
और तुम्हें याद करता है।
तुम जहां से गये थे
मुझे अकेला छोड़कर।
हम आज भी खड़े है
वही पर तुम्हारे लिये।।

जिंदगी भी क्या है
कभी हंसती है तो।
कभी अपनो के
लिए रोती है।
और जीने की
जिद्द करती है।
जबकि उसे पता है
कि अकेले ही जाना है।
फिर भी साथ रहने
की जिद्द करती है।।

चाँद जब भी निकलता है
चंदानी उसे खोज लेती है।
फिर आँखों ही आँखों से
आपस में कुछ कहते है।
और दोनों की आँखों से
मोती जैसे आँसू बहते हैं।
और रात की हरियाली पर
सफेद चादर बिछा देती हैं।
और मेहबूबा को मेहबूब से
सुहानी रातमें मिला देते हैं।।

ठंडी हवाओं के झोंको से
रात रानी की महक से।
एक दूसरे की बाहों में
शमा जाते हैं और प्यार के
सागर में डूब जाते हैं।
और ख्याबों से भरी
दुनियां में खो जाते हैं।
देखकर राधाकृष्ण भी
ऊपर से मुस्काराते हैं।
और मोहब्बत करने वालो
को शुभ आशीष देते हैं।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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