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प्रेम

मनोरमा पंत
महू जिला इंदौर म.प्र.
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प्रेम की न कोई भाषा है
न कोई होता संवाद,
यह है केवल अनुपम,
सुखद एहसास,
न होता कोई अनुबंधन
न होता कोई इकरार ,
यह तो है बस अनुभूतियों
का पावन ज्वार,
मौन का है यह अद्भुत
संसार,
वात्सल्य का है अनुपम
संचार,
प्रेम जीवन सागर में लहरों सा
उमड़ा है,
प्रकृति के अणु अणु में
रचा बसा है
सब में अन्तर्हित रह, यह
भाव चरम है

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा पंत
सेवानिवृत : शिक्षिका, केन्द्रीय विद्यालय भोपाल
निवासी : महू जिला इंदौर
सदस्या : लेखिका संघ भोपाल जागरण, कर्मवीर, तथा अक्षरा में प्रकाशित लघुकथा, लेख तथा कविताऐ
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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