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नाराज नजर आते

कंचन प्रभा
दरभंगा (बिहार)

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क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते
कभी हँसते नहीं आजकल
छुपा कोई राज नजर आते

तेरा चुपचाप यूँ रहना
मुझे खामोश करता है
कभी जो हँसते मुस्कते थे
वही आवाज नजर आते
क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते

सूरत उदास हो तेरी
मुझे ये बात गवाराँ नहीं
तेरी मुस्कान है ऐसी
जो मुझको ताज नजर आते
क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते

तुम्हारी दिल्लगी नही दिखती
तुम्हारी वो हँसी नही दिखती
मुझे बोलो या ना बोलो
सुरीले साज नजर आते
क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते

तमन्ना दिल में क्या तेरे
मुझे इक बार बता तो दो
तुम्हारी ये खामोशी में
अलग अंदाज नजर आते
क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते

कभी हँसते नही आजकल
छुपा कोई राज नजर आते
क्या हुआ कि तुम ऐसे
क्यों नाराज नजर आते

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परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित 

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