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लोक अदालत और गांधी दर्शन

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

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सभी सुखी खुशहाल रहे सब,
गांधी जी का ये सपना था।
भले कोई कितना दुश्मन हो,
वो भी तो उनका अपना था

गांधी के सपनों का भारत,
ये था इसको याद रखें हम।
उनके पदचिह्नों पर चलकर,
भारत को आबाद रखे हम।।

सत्य अहिंसा की ताकत से,
कबतक कतराएगी दुनिया।
है विश्वास यकीनन एकदिन,
इस पथ पर आएगी दुनिया।।

जिसकी लाठी भैंस उसी की,
क्या ये सोच बनी फलदाई।
झगड़े से झगड़ा बढ़ता है,
क्या दिल से आवाज न आई।।

सदा युद्ध के परिणामों में,
जीता एक, एक हारा है।
पर क्या हार जीत ने कोई,
समाधान को स्वीकारा है।।

समाधान की दिशा अहिंसा,
इसमें कोई हार नहीं है।
जश्न जीत का दोनों ही मिल,
मना सकें त्यौहार यही है।।

नही फैसले, समाधान की,
ओर बढ़ें तो सुख पाएंगे।
लोक अदालत गांधी दर्शन,
है ये सब को समझाएंगे।।

जड़से अगर समस्या कोई,
खत्म हमे करना है लोगों।
“अनन्त” गांधी दर्शन को ही,
आज हमे वरना है लोगों।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


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