डॉ. भावना सावलिया
हरमडिया (गुजरात)
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४६ वर्षीय अविवाहिता शिला उत्तर गुजरात की आर्ट्स कॉलेज में हिन्दी विषय की अध्यापिका है। वह अपने परिवार से ४०० कि.मी. दूर नौकरी कर रही है। वहाँ वह अकेली रहती है। अध्यापकीय कार्य और साहित्य ही उसकी दुनिया है। लिखना-पढ़ना, लिखवाना और पढ़ाना ही उसका जीवन कर्म है। छात्रों में आदर्श जीवन मूल्यों का सींचन करना उसके जीवन का प्रमुख लक्ष्य है। वह सोच रही है की अंतिम एक सप्ताह से कोरोना वायरस धीरे-धीरे भारत में अपना पाँव फैला रहा है। कॉलेज में छात्रों को छुट्टियाँ हो गई है। स्टाफ के लिए रोटेशन हो गया है तो मैं २४ मार्च की कॉलेज भरके परिवार के पास कुछ दिनों के लिए चली जाऊंगी। वह अपने पापा से फोन करती है : पापा : “बोल बेटी, कुशल तो है न!” “जी पापा, मैं २४ मार्च को कॉलेज समय के बाद घर आने के लिए निकलूँगी। २४ मार्च से ३१ मार्च तक की मैंने छुट्टियाँ ले ली है। पर सोचती हूँ मैं वहाँ किस प्रकार आऊँ? इस समय कोरोना वायरस के कारण बस में आना योग्य नहीं है। “पापा : “चिंता मत कर बेटा, मैं गाड़ी की व्यवस्था करता हूँ। “नहीं पापा, मैं यहाँ से किराए की गाड़ी में आ जाऊँगी। जब मैं निकलूँगी आप से फोन कर दूँगी। “ठीक है बेटी, अपने आप को सँभालना ”
कितने दिनों के बाद शिला पाँच दिन की छुट्टियों में अपने घर जायेगी ! अपने माँ और पापा को मिलने के लिए उसका मन उतावला हो रहा है। शाम को जाने की तैयारी कर देती है। आज उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है। एकाएक वह शाम के समाचार में सुनती है कि दिनांक २४ मार्च से १४ अप्रैल तक समग्र भारत को लोकडाउन किया जाता है। कोरोना वायरस से बचने के लिए आप अपने घर में रहकर खूद बचिए और परिवार तथा देश को बचाइए। पूरे भारत के सभी वाहन व्यवहार रोक दिये गये हैं। यह समाचार सुनकर अपनी बैग में रखने जाती ‘रश्मिरथी’ का पुस्तक ऐसे ही अपने हाथ में रह जाता है। मंद मुस्कान से वह रश्मिरथी को देखती है और अपनी गोद में रख देती। वह सोचती है अच्छा हुआ मैं मेरे घर को ही २१ दिन तक पुस्तकालय और काँलेज क्यों न बना लूँ? मैं बड़ी नसीब वाली हूँ कि ईश्वर ने मुझे पढ़-लिखकर निखरने का इतना अधिक समय दिया है ! वैसे भी सरकारी आदेश का पालन करना चाहिए। इस समय मेरा परिवार से मिलना जरूरी नहीं है पर मेरा और परिवार का होना जरूरी है। तब पापा का फोन आता है। “हेलो शिला कल हम तुझे लेने के लिए सुबह जल्दी निकलेंगे। वैसे भी वहाँ तुम अकेली २१ दिन क्या करोगी? हम सारा परिवार साथ साथ रहेंगे और मज़ा करेंगे, एक-दूसरे का खयाल रखेंगे। “नहीं पापा इतना बड़ा रिस्क मत लेना। किसी को बाहर नहीं निकलना है। हमें सरकार को साथ देकर देश को बचाना है। वैसे भी पापा मैं अकेली कहाँ हूँ? मैं पढ़ी-लिखी हूँ। मेरा साथ निभाने वाले मेरा साहित्य और मेरी कलम है। वैसे भी मैं सोच रही थी कि मैं कुछ लिखूँ ! अब मैं यह सुवर्ण तक गँवाना नहीं चाहती। पापा-माँ आप लोग मेरी चिंता मत करना। हम रोज फ़ोन और विडियो कोल के माध्यम से मिलते रहेंगे और आप सबका आशीर्वाद तथा प्यार हमेशा मेरे साथ है। दोनों भाइयों और भाभियों को मेरी याद देना, बच्चों का ख्याल रखना…
“ठीक है बेटी, तुम जो समझो, अपना खयाल रखना। अपनी माँ से बात कर ! “जी पापा” माँ के चेहरे पर चिंता की रेखाएँ थीं। वो सोचती हैं कि इस महामारी से भगवान अब क्या होगा? माँ : “जयश्री कृष्ण, कैसी हो बेटी ?” “माँ मैं एकदम बढ़िया हूँ, आप मेरी चिंता बिल्कुल नहीं करना, पापा का खयाल रखना। पापा को रोज सुबह औषधियों का गाढ़ा पिलाना, मना करें तो मुझे फोन करना। “बेटी तू आ जाती तो अच्छा होता। “माँ चिंता मत करो मुझे कुछ नहीं होगा।“
दूसरे दिन शिला फोन करती है तो माँ उठाती हैं। “हेलो माँ जयश्री कृष्ण। “जयश्री कृष्ण बेटा, सब ठीक तो है न !” “जी माँ, माँ रश्मि को फोन देना। “रश्मि शिला की छोटी भाभी है, दोनों को बहुत बनती है। वह सरल और भावुक है। शिला घर परिवार की चहेती है। वह अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिंता करती रहती है। रश्मि : “हेलो दीदी कैसी हो? रश्मि की भावुक आवाज सुनकर शिला खुश हो जाती है। शिला : “मैं एकदम बढ़िया हूँ ! तुम और सभी लोग कैसे है? “वो सब अच्छे हैं। सभी बच्चे शिला बुआ के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आपसे बाल-कहानियाँ सुनने के लिए आतुर है। “शिला अपना मन मनाकर कहती है : “मेरा भी मन होता है कि हम साथ साथ होते तो ढेर सारे आनंद लूटते, मजाक मस्ती करते। खैर कोई बात नहीं, हम समय के आधिन है, भगवान को जो अच्छा लगे वही सही। रश्मि अब मेरी बात ध्यान से सुन, दाल चीनी, कालीमिर्च, लौंग, अजवाइनअदरक, तुलसी पत्र, पुदीना आदि को मिलाकर गाढ़ा बनाके, और रोज सुबह सभी को कंपल्सरी पिलाना, गर्म पानी पीने का आग्रह रखना, नमक वाले गर्म पानी से गरारे और कुल्ले करना, साबून से बार-बार हाथ धोना, बासी और ठंडा खुराक और पानी नहीं खाना-पीना, घर में ही रहना, बाहर गये हो तो बाहर से आने के साथ ही साबून से नहाना, कपड़े तीन घंटों तक धूप में रखना, खांसी,छींक के वक्त रुमाल या टिश्यू पेपर का उपयोग करना, मास्क पहनकर बाहर निकलना, किसी से हाथ नहीं मिलाना, एक मीटर की दूरी बनाए रखना, फल सब्जियाँ गर्म पानी से धोना आदि बातों का खयाल रखेंगे तब ही हम कोरोना से जीत पायेंगे। मेरी पुस्तक की अलमारी में से बाल कहानियों की पुस्तकें निकालकर बच्चों को पढ़ने के लिए देना, वो रोज एक कहानी पढ़े ओर सबको सुनाए यह मेरी ओर से कहना। ठीक है अब फोन रखती हूँ। “जी दीदी आप यहाँ की चिंता मत करना, अपने स्वास्थ्य का खयाल रखना। भगवान सबका कुशल मंगल करें ऐसी शुभकामनाएँ। “रश्मि फोन रखकर सोचती है दीदी अपना न सोच के सबकी कितनी चिंता करती है? प्रभु हमारी दीदी को सलामत रखना।
रश्मि के साथ बात होने के बाद शिला खिड़की से आकाश को देखती है। इस समय एक चिड़िया खिड़की से आकर घर में उड़ती, फुदकती, मचलती है, शिला मन ही मन मुस्कराती है, ‘मानौ चिड़िया उसे कह रही हो मनुष्य के लिए लोक डाउन है, हम तो आजाद हैं, मैं रोज तुझे मिलने के लिए आऊँगी। अकेला महसूस मत करना …..
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परिचय :– डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया
माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया
पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया
जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३
निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात)
शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी
सम्प्रति : अध्यापन कार्य, आर्टस कॉलेज मोडासा, जि. अरवल्ली, गुजरात
प्रकाशित रचनाएँ : ४० से अधिक पद्य रचनाएँ प्रकाशित, नेशनल और इंटरनेशनल पत्र-पत्रिकाओं में ३५ से अधिक शोध -पत्र प्रकाशित ।
प्रकाश्य पुस्तकें : “हमसफ़र “स्व रचित कविता संग्रह प्रकाश्य, साहित्यिक बिंदू “ आलोचनात्मक ग्रंथ प्रकाश्य, “महादेवी वर्मा के गद्य साहित्य का तात्विक विवेचन“ पुस्तक प्रकाश्य।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘महादेवी वर्मा के समग्र साहित्य में नारी चेतना’ २०१३, ‘कविता सागर ‘ काव्य संग्रह २०१७
अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड :
१.विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा ‘महादेवी वर्मा मेमोरियल अवार्ड’ इन्दौर २०१९
२. अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन ‘विशिष्ट प्रतिभा सम्मान’ भीलवाड़ा राजस्थान २४/२५/दिसम्बर
३.“अग्निशिखा “ साहित्य गौरव सम्मान, मुंबई २४/२५/दिसम्बर २०१९
४. “साहित्य शिरोमणि सम्मान” अन्तरराष्ट्रीय सम्मान वर्धा, ८ मार्च, २०२०
राष्ट्रीय अवार्ड :
१.’साहित्य श्री’ सम्मान नासिक (‘कविता सागर’ काव्य संग्रह को) २०१९
२. ‘महादेवी वर्मा के समग्र साहित्य में नारी चेतना‘ पुस्तक को ‘राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज नेशनल अवार्ड जलगाँव – २०१३
३. गंगा ज्ञानेश्वरी गौरव, जलगांव – २०१५
४. ‘कविता सागर’ काव्य संग्रह को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान पर राष्ट्रीय अमृतादित्य गोरव अवार्ड, जलगांव २०१८
प्राप्त सम्मान :
(१) ज्ञाति प्रतिभा सम्मान जामनगर, सौराष्ट्र – २०१३
(२) लेखन प्रतिभा सम्मन , जामकंडोरणा ,सौराष्ट्र -२०१४
(३) सारस्वत सम्मान राजकोट, सौराष्ट्र – २०१७
(४) विश्व हिन्दी साहित्यकार मंच द्वारा ‘ मातृभूमि सम्मान ‘- २०१९
(५) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा, शाखा राजस्थान – “तुम आये” शीर्षक कविता प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार से सम्मानित -दिनांक : १/९/२०१९
(६) राष्ट्रीय कविता चौपाल कोटा शाखा- राजस्थान- “किताबें”शीर्षक कविता प्रतियोगिता का श्रेष्ठ सृजन सम्मान पुरस्कार से सम्मानित- ८/९/२०१९
(७) हिन्दी साहित्य सेवा मंच द्वारा श्रेष्ठ दोहा सृजन के लिए सम्मान १४/९/२०१९
(८) राष्ट्रीय कविता चौपाल कोटा, शाखा- राजस्थान “ रोजगार” शीर्षक कविता प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार से सम्मानित : २२/९/२०१
(९) राष्ट्रीय कविता चौपाल कोटा शाखा-राजस्थान “ परमात्मा “ शीर्षक कविता प्रतियोगिता का श्रेष्ठ सृजन के लिए सम्मान : १३/१०/२०१९
(१०) राष्ट्रीय कविता चौपाल कोटा शाखा राजस्थान –“प्रदूषण” शीर्षक कविता प्रतियोगिता का श्रेष्ठ सृजन पुरस्कार से सम्मानित १०/११/२०१९
(११) अखिल हिन्दी साहित्य सभा नासिक : “कविता सागर” काव्य संग्रह को साहित्य श्री सम्मान :२०१९
(१२) राष्ट्रीय कविता चौपाल कोंटा ‘भाईचारा” शीर्षक कविता प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार से सम्मानित :१/१२/२०१९
(१३) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा ‘ हमसफ़र’ शीर्षक कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित १५/१२/२०१९
(१४) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा “ओस की बूँदें “शीर्षक कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित २९/१२/२०२०
(१५) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा “समय” शीर्षक कविता प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित १२/१/२०२०
(१६) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा “हमारा गणतंत्र” शीर्षक कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार २६/१/२०२०
(१७) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा “सहारा”शीर्षक प्रतियोगिता कविता में तृतीय पुरस्कार से सम्मानित १५/३/२०२०
(१८) राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा “प्रर्थना” शीर्षक कविता प्रतियोगिता में श्रेष्ठ सृजन पुरस्कार से सम्मानित २९/३/२०२०
काव्य मंच :
* राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज साहित्यिक संस्था जलगांव
* हिन्दी साहित्य गंगा महोत्सव जलगांव
* राष्ट्रीय अमृतधारा साहित्य महोत्सव जलगांव
* महादेवी वर्मा स्मृति कवयित्री सम्मेलन इन्दोर
* अखिल हिन्दी साहित्य सम्मेलन नासिक
सेमिनार :
४० से अधिक सेमिनार में शोध-पत्र प्रस्तुत
अन्य क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों का विवरण :
(१) अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन खुरजा में सदस्य – २०१०
(२) आकाशवाणी रेडियो राजकोट स्वर भाषा निर्णायक समिति की सदस्य – २०१८
(३) अखिल हिन्दी साहित्य सभा नासिक की सदस्य
(४) अमृतधारा फाउंडेशन जलगाँव की सदस्य
(५) आकाशवाणी रेडियो राजकोट सौराष्ट्र में विभिन्न विषयों पर रेडियो टोक
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