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जियो जिंदगी

अनूप कुमार श्रीवास्तव “सहर”
इंदौर मध्य प्रदेश
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जियो जिंदगी जीत दुनिया को लो,
बात ख़ुदा की चलें बंदगी जीत लो।

इतनी तन्हाई यहां है किसके लिए,
बंद पलकों में मंजर सभी खींच लो।

फूल उसका बदन तीखें जैसें नयन
अंजुरी अंजुरी सी उतरी मेरे सपन।

एलौरा की दिवारों में अब उकेरो उसे,
मन अंजता में उसको बसालों जरा।

बंद पलकों में मंजर सभी खींच लो,
जैसे चन्दन से जग सारा यें सींच लों।

यतन के जतन भी बहुत खूब किए
गुनगुनानें की खातिर कोई गीत लों।

बांसुरी राधा बजाएं कहीं श्याम की
पीर भुलाने की खातिर यहीं प्रीत लों।

परिचय :- अनूप कुमार श्रीवास्तव “सहर”
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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