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लकीर

रीतु देवी “प्रज्ञा”
(दरभंगा बिहार)

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हाथ की लकीर बदल दीजिए छठ मैया,
बीच मजधार से पार लगा दीजिए मेरी नैया।
रैन दिवस बहते हैं मेरे अश्रुधारा,
आप ही है मेरी जीवन की सच्ची सहारा।
लगन लगी है आपके चरणों की
हरण कीजिए सब मेरे कष्टों की
रहूँ मैया आपकी उपासक जन्म -जन्म तक,
नव लकीर बना दीजिए आशीष खुशियों की वर्षों तलक,
जय, जय छठ मैया हमारी है अनुपम,
लकीरों की गाथा बदल बरसा दीजिए पुष्प सुन्दरम

 

लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार


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