
मिर्जा आबिद बेग
मन्दसौर मध्यप्रदेश
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हद हो गई इस दुनिया में पाप की,
आज अगर हैं यहां जरूरत कल न होगी आपकी,
कितना ही तुम दूध पिलाओं,
बिन बजाके राग सुनाओ,
फिर भी तुम्हें वह डंस लेगा,
ये आदत है साँप की,
शहर छोड जंगल वह सिंधारा,
फिरता रहा वह मारा मारा,
याद आ गई मुझे कहानी,
महाराणा प्रताप की,
किसी गरीब को तुम पास बिठालो
दुख दर्द उसका तुम बांटलो,
फिर जरूरत नहीं है भजन और जाप की,
क्यों करते हो तेरा मेरा,
यह दुनिया है एक रैन बसेरा,
यह धरती है उस मालिक की,
नही किसी के बाँप की,
अब मै अपना ताअरूफ तुम्हे कराता हूँ,
नाम है मेरा आबिद मिर्जा,
हाईट हैं मेरी पाँच फिट ढाई ईन्च,
अब जरूरत नही है नाप की,
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लेखक परिचय :-
नाम : मिर्जा आबिद बेग
कवि : लेखक पत्रकार
निवासी : जिला मन्दसौर मध्यप्रदेश
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