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जैसे को तैसा धुनूँ

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश

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रस – रौद्र,
अलंकार – अतिशयोक्ति।
भाव – आत्मकुंठोपजित भक्ति।
छंद – दोहा, सोरठा एवं कुंडलियों के प्रयास।
कारक – बचपन में अपने आस पास समृद्ध और सभ्य परिवार की उपाधि प्राप्त परिवारों में वधुयों की दहेज़ या अन्य पारिवारिक कारणों से हुई परिचिताओं की जीवित जलकर या अन्य हनित संसाधनों द्वारा हत्या एवम आत्महत्या से उत्पन्न भाव जो अधिकाधिक बारह या तेरह वर्ष की आयु के समय प्रभु से करबद्ध अनुरोध करते मेरे द्वारा ही वरदान स्वरूप चाहे गए थे। कुछ परिवार ने उनकी हत्या को भाग्य कुछ ने उनमें थोपी गई अतिवादी स्त्री सहनशीलता की कमी बताया मायके वालों ने कहा “बिटिया तो ना मिलेगी हमारी” अतः कोई केस नहीं लगाया। और मेरे हृदय में उस उम्र में दहेज़ के दानवों विरुद्ध, अवस्था; अतिशह क्रुद्ध क्रांति जनित यह भाव! ‘यूँ ही’ आया। कि…..

दुष्टन से कंजर बनूँ, ज्ञानी से गुणवान।
जैसे को तैसा धुनुं, बचे तभी निज मान।।
बचे तभी निज मान, मिटे अभिमान दुष्ट को।
कभी डरूँ ना ‘राम’ चाहे संसार रुष्ट हो।।

पाला जो हमसे पड़े, मूढ़ धरे दीवार।
दस-दस ओहे हूँक दूँ, एक करे जो वार।।

धार जिमि तलवार की, ऐंसों करूँ प्रहार।
भगवन किरपा कीजिये, कभी ना मानूँ हार।।

थप्पड़ पे थप्पड़ धरूँ, तोडूं उठे जो हाँथ।
ऐंसी मैं महिला बनूँ, याद करें जुग सात।।
याद करें जुग सात, शत्रु; कबहुँ ना भूलें।
तर्कन के विष बाण चुभें, जिम चिता की शूलें।।

और दहेज़ के लोभिन को, तुरतई दूँ धिक्कार।
स्त्री पर अपशब्द कहे, तस मूरख को तिस्कार।।

केवल भक्ति रोग हो, मोह से रखियो दूर।
अभिमानी जब सामने, करूँ दंभ तब चूर।।

‘औ’
हमसे बनें समान वही, अंतर्मन जिनके शिष्टा हो।
अकड़ तो केवल वही दिखाएं, जिनकी धर्म में निष्ठा हो।।

जो भी जिनता कर पाया, किया वधु अपमान।
हम भी बनकर दासियाँ, बनने चलीं महान।
बनने चलीं महान, सही! कितनी मनमानी।।
नारी तुमने कदर, ना काहे? अपनी जानी।।

सोरठा-
स्त्री के बस ईश, धरम बचे तबही होइ।
बड़ अनुभव की सीख, मोहि ता बस इतनई मिली।।
दुनिया के सब काम, हित अनहित मैं देख लई।
अपने केवल राम, और नहीं दूजा कोई।।

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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है


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