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उजाला

मईनुदीन कोहरी
बीकानेर (राजस्थान)

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उजाले के लिए
बचा कर रखना
अपनत्व की बाती
प्यार के तेल में
सींच कर, फिर
स्नेह का उजाला करना।

बुराई की आंधी
बुझा ना पाए
किसी के दिल का दिया
प्यार के आंसुओं से, फिर
अंधेरे में उजाला करना।

बचपन और जवानी
उतार-चढ़ाव की है कहानी
इसे सहज कर रखना
किसी गरीब की अभिलाषा में,
फिर उम्मीद का उजाला करना।।

नफरत के इस दौर में
घर में भी डर लगता है
कोलाहल से भरी हवाओं में
प्रदूषण को पर्यावरण में बदलने, फिर
आशा की किरण से उजाला करना।

वैष्विक महामारी के वायरस को
अलविदा करने की मुहिम में
सवा करोड़ देशवासियों
मुश्किल की घड़ी में, फिर
हौसलों के चिराग से उजाला करना।

परिचय : मईनुदीन कोहरी
उपनाम : नाचीज बीकानेरी
निवासी – बीकानेर राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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