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जीवन यात्रा

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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जीवन यात्रा में यह संजोग कैसी?
अद्भुत सुखद दिवास्वप्न सी

आलस की नीरवता सी
सागर की गंभीरता से!

उद्धत कर्म पथ पर
अर्चना की समर्पण में!

भावा विभोर होकर मैं एक
अदना सा प्रकाश विलीन होकर!

एक नई जीवन सजाने की
कामना करता हूं!

इस जीवन यात्रा में
अनेक पगडंडियों से या
पहाड़ियों से गुजर ना होगा!

कंदरा गुफा में रातें गुजारने होगी
एसी अपेक्षाएं की जाती है
जीवन की साहसिक यात्राओं में
सरपट सड़कों पर दौड़ लगाना होगा
ऐसी उम्मीद की जाती है

अक्सर माननीय यात्रा में
यह आश्चर्य से ही संभव है

जीवन यात्रा एक सपना है, रंगमंच है
रंगमंच पर सभी को उतरना है!

अपनी कलाकारीताको निखार ना है-सवारना है
क्योंकि एक पूर्ण को इसमें बंधना होगा,
ऐसी धारणाएं है मेरी संस्कृति की!

यह अर्चना क्या है एक समर्पण है एक आकार है
आरोपी अध्यात्म का अनुपम प्रकाश है!

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लेखक परिचय :-  नाम – ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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