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जिंदगी एक सफर है

कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
जगमेरी तह. बैरसिया (भोपाल)

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जिंदगी एक सफर है।
कदम बढ़ाते चलो
हंसते गाते मुस्कुराते चलो,
ऐ चलने वाले मुसाफिर सफर लंबा है।
कदम बढ़ाते चलो
राह में रुकना नहीं है।
सफर जितना लंबा होगा
सफलता उतनी ही बेहतर होगी,
जीवन में सफर करते समय
अनेक बाधाएं आएंगी,
इन बाधाओं में रुक ना जाना
ए मंजिल के मुसाफिर,
लोग यहां थक हर कर
बीच सफर में ही रुक जाते हैं।
वह लोग यह नहीं जानते उस समय
हम मंजिल के कितने करीब थे,
सफर में जब निकल चले हैं।
मंजिल मिले बगैर
रुकने का सवाल ही नहीं होता,
आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी,
जिंदगी एक सफर है हंसते गाते
मुस्कुराते कदम बढ़ाते चलो।
चलते चलो मुसाफिर चलते चलो।

परिचय :- कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
पिता : जालम सिंह अहिरवार
निवासी : ग्राम जगमेरी तह. बैरसिया जिला भोपाल
शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल अध्ययनरत राष्ट्रीय सेवा योजना एन.एस.एस. स्वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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