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ज़िंदगी…”तन्हा हैं”

निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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हैं फ़लक का नूर तू, झलक दूर से देता हैं,
हो वास्ते रुबरु तेरे, वो दरीचा सवाँर देता हैं…

करता है गुफ़्तगू वो, ख़ामोश सूनी निग़ाहों से,
अरमा लिये पहलू में, सर-ए-शब गुजार देता है…

माना कि फासले हैं मगर, तसव्वुर पे कहा जोर,
मीलों की दूरियां सही, वो शिद्दत से घटा देता हैं…

रोशनी बिखरीं जहान, उर चित्त छाया अंधेरा हैं,
शब हुई शबनमी आज, तन्हा वो दिखाई देता हैं…

हैं नाज क्यू जो आब हैं, फौरी हुआ ये इश्क़,
शब भर रहा तू अर्श, सहर गुम दिखाई देता हैं…

परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


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