Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जीवन और बारिश भाग – 2

पवन मकवाना (हिंदी रक्षक)
इंदौर मध्य प्रदेश

********************

आँखों पर हाथ रखे
वह देख
रहा था
टकटकी लगाए
आस है जिनके
रुकने की
बरसने से

गति तगारी
लिए मजदूर की
जो
कमर पर
लपेटे मैली सी
चादर
भूख मिटाने
के
यंत्र की भांति

सड़क किनारे
खड़े
अपनी
काग़ज की
फिरकियों के
रूप में
अपने सपनों
को
बारिश के पानी में
गलता देख
रहे
अधनगें
कपड़े पहने
उस
अधेड़ की

ठेले पर
आधे कच्चे
आधे पके
केले लिए बैठी
मक्खियां उड़ाती
उस बूढी
नानी की
जो पाल रही है
अपनी मृत
बच्ची के
बच्चों को

जिन्हे
छोड़ गया
उनका जल्लाद
बाप
जब वह
बेच ना पाया
बूढी नानी के
विरोध के चलते
अपनी मासूम
बेटियों को
किसी और जल्लाद
के हाथ
दारु से
अपना गला
तर करने

आस है इन
सबको
की
रुके बारिश
तो
शुरू हो काम
उस
ऊँचे भवन का
जिसके भरोसे
छोड़ आये हैं
अपना गाँव
कई मजदूर
की
बारिश रुके तो
खुले उनके पेट
पर बंधी
वह चादर

रुके बारिश तो
रुके
गलना फिरकियों का
आएं बच्चे
ग्राहक
के रूप में
भगवान् बनकर
और
हो इंतजाम
बच्चों के
स्कुल के शुल्क का
की
हो आसरा
फिर जीने का
चार दिन

की अब बादल
बंद करे
गरजना
रुके पानी
तो अधपके
केले बिके
नानी के
घर के कोने
में दुबके
हाथ में
बर्तन थामे
छत को तांकते
बैठी होगी
नातीनें
की
खान से गिर रहा
है पानी
यह पता लगे
की
कहाँ से
नहीं टपक
रही है
छत

कब आएगी
नानी
की
इन्तजार है
पेट भरने
से पहले
दल छत पर
तिरपाल
इस बार

ठेले पर बैठी
नानी
आँखों में
लिए पानी
मना रही है
ईश्वर को अपने
और मांग रही है
मन्नत बादलों से
की
अबके जैसे
तुम बरसे हो
वैसे तुम ना आना
फिर हमको ना सताना
अगले बरस … अगले बरस … अगले बरस …

 

परिचय : पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक)
जन्म : ६ नवम्बर १९६९
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति : संस्थापक- हिन्दी रक्षक मंच
सम्पादक- hindirakshak.Com हिन्दीरक्षकडॉटकाम
सम्पादक- divyotthan.Com (DNN)
सचिव- दिव्योत्थान एजुकेशन एन्ड वेलफेयर सोसाइटी
स्वतंत्र पत्रकार व व्यावसाइक छायाचित्रकार


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *