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ज़िन्दगी

विरेन्द्र कुमार यादव
गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)

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ज़िन्दगी
जिन्दगी एक उददेश्य होती है,
बिन उददेश्य की जिन्दगी बेकार होती है।
जिन्दगी धूप होती है ,
जिन्दगी छाँव होती है।
जिन्दगी में एक सपना होता है,
कोई अपना होता है।
कोई पराया होता है,
कोई रिश्तेदार होता है।
कोई दोस्त-यार होता है,
कोई ना समझ और कोई
समझदार होता है।
कोई जिन्दगी में
मझधार में रोता है,
कोई पहुँच के उस पार हँसता है।
जिन्दगी सुखों-दुखों का संगम है,
हमको आपको चलते रहना हरदम है।
जिन्दगी प्यार का गीत है
हर एक को गुनगुनाना पड़ेगा,
जिन्दगी गम का सागर भी है
हर एक को उस पार जाना पड़ेगा।

परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव
निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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