Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जिंदगी

पवन जोशी
रामगढ़- महूगांव महू (म. प्र.)

********************

नदी सी है ज़िंदगी,
बह रही है बहने दे।
मोड़ है चढ़ाव है उतार है,
बहाव है तो बहने दे।।

आज जी,
तु कल को कल पे छोड़ दे।
जीतले अतित को,
इक नया तु मोड़ दे।।

शुन्य हो जरा
हां ढीठ बन।
तु खुद से खुद
का मीत बन।।

लोक लाज रहने दे लानते
कह रही है कहने दे।
नदी सी है ज़िंदगी,
बह रही है बहने दे।।

है तय जीत हार तो
बस जूझना तो है।
खुद जवाब है
तु हर सवाल का
फिर भी बूझना तो है।।

व्यर्थ लगे भले,
तु कुछ नियति की
योजना तो है।
दर्पणो सा हो
घर तेरा क्या
पर खुद मे खुद को
खोजना तो है।।

कुछ बची
राख मे तपन अभी
ढक रही है रहने दे।
नदी सी है ज़िंदगी,
बह रही है बहने दे।।

क्या खुद बुना था
तन नहीं।
मिटा सकूं वो हक
पवन नहीं।।

स्थिति परिस्थिति
सदा सब के संग एक सी
रही।
बस सुरतें सीरतों के सगं
वक्त पे बदलती रही।

हुआ सिकंदर वही
जो उससा उसमे ढला।
मनो जीत के
रगंमचं वो फिर से चला।।

आस जीत की
जगी तक अभी,तो जगने दे।
नदी सी है ज़िंदगी,
बह रही है बहने दे।।

परिचय : पवन जोशी
निवासी : रामगढ़- महूगांव महू (म. प्र.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *