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जिंदगी

चलती फिरती काया की उड़ान है जिंदगी
एक कुरुक्षेत्र है जिंदगी
कभी वक्त के थपेड़ों में
डूबती उत्तराआती नाव सी जिंदगी
साहिल की तलाश में भटकती हुई जिंदगी
कभी फूलों की गुलजार बाग सी महकती जिंदगी
कभी पतझड़ में पेड़ की टूट सी खड़ी जिंदगी
कैलेंडर की तारीखों सी बदलती हर पल जिंदगी
सपनों का महल खड़ी करती जिंदगी
टूटते सपनों का दंश झेलती जिंदगी
बहुत बेमिसाल है जिंदगी
कभी हाथों में ठहरती नहीं जिंदगी
आंखों में सुनहरे पल की आस लिए जिंदगी
जीवन के खट्टे मीठे लम्हों से भरी जिंदगी
हर पल एक नया अनुभव देती जिंदगी

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परिचय :- लखन लाल यदु अभिभाषक
जन्मतिथि : ७.८.१९५८
निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़

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