प्रीति शर्मा “असीम”
सोलन हिमाचल प्रदेश
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(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजिट अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा)
शेफाली लाइब्रेरी में कुछ किताबें ढूंढ रही थी। उसने जो कल किताब पढ़ी थी वो इसी जगह रखी थी। लेकिन अब उसे उसी जगह पर वो किताब मिल नहीं रही थी। उसने उसी विषय की दूसरी किताब उठा ली।यह सोच कर कि हो सकता इसमें वो चैप्टर उसे मिल जाए वो किताब लेकर टेबल पर बैठ गई। तभी …..उसने वही किताब सामने वाले टेबल पर देखी। वह पहचान गई कि यह वही किताब थी उसके कवर पर पीला रंग -सा लगा हुआ था। वह पहचान गई इससे पहले वे देखती कि किताब किसके पास है वह लड़का किताब उठाकर लाइब्रेरी से निकल गया। वह उसका चेहरा भी नहीं देख पाई। मन में यह सोच कर कि चलो, वह पढ़ के किताब रख देगा। लाइब्रेरी से वह आज नहीं तो कल किताब ले लेगी। अगले दिन वह फिर किताब ढूंढने गई क्योंकि जो किताब उसने उठाई थी उसमें सिर्फ आधा ही चैप्टर मिला था। उसने सोचा आज तो वह लड़का रख गया होगा। यह सोचकर वह किताब ढूंढने लगी। लेकिन किताब नहीं मिली।
लाइब्रेरी में पता करने पर पता चला कि वह किताब अभी वापस नहीं आई है। और उस लड़के ने १५ दिन के लिए इशू करवाई है। यह सुनते ही वह परेशान हो गई कि बीस दिन तो पेपर को रह गए हैं तो वे उस किताब में से कैसे नोट्स उतारेगी। बड़ी मुश्किल से तो पता चला था कि उस किताब में सारे चैप्टर मिल जाएंगे और बताया भी इस मौके पर जब कोई किताब ले गया है। अब वह हर किसी की किताबों की तरफ नजर मारती हुई देख रही थी कहीं उसको किसी के हाथ में वह किताब दिख जाए तो वे उससे मांग ले लेकिन कहीं भी उसे वह किताब नहीं मिल रही थी अब वह क्या करती है। इसी सोच में वह फिर से लाइब्रेरी में आ गई और दूसरी किताबों को ढूंढने लगी जिनमें से उसे कहीं से जो चैप्टर रह गए हैं वह मिल जाए।
तभी उस की नजर टेबल पर पड़ी। टेबल पर वही किताब पड़ी थी। एक लड़का सामने उसी किताब से नोट उतार रहा था। किताब को देखते ही उसके चेहरे पर खुशी चमक गई वह उठ खड़ी हुई और खुशी से बोली क्या मुझे यह किताब दिखा सकते हो। जी लड़का चौंक कर बोला …! आपको चाहिए थी। मैंने तो सारे नोट उतार लिये है मुझे सर ने बताया था कि शैफाली को यह किताब चाहिए लेकिन आप मुझे कहीं मिली नहीं। जी, मैंने सर को बताया था कि मुझे किताब नहीं मिल रही क्योंकि लाइब्रेरी से कोई निकाल कर ले गया था।
किताब मिलने की उसे बहुत खुशी थी किताब मिलने से पहले उसे लग रहा था कि अगर वह किताब ना मिलती तो वह कुछ पढ़ नहीं पाती चाहे उसने ज्यादातर सिलेबस के नोट्स बना लिए थे लेकिन उस किताब में जो एक चैप्टर रह गया था उसकी चिंता में उसे लग रहा था कि उसने अभी अधूरा ही पढ़ा है। अब वह किताब को देखकर वह ऐसे खुश हुई मानो उसका रिजल्ट पास का निकल गया है। उसने राकेश का थैंक्यू किया। राकेश ने बुक सबमिट कराने की एंट्री भरी और शेफाली बुक इशू की। शेफाली बुक लेकर घर आ गई जब घर पहुंची और पढ़ने के लिए बुक को खोला और देखा कि बुक में से कई पन्ने फटे हुए थे। कुछ आधे कटे हुए थे। वह समझ गई कि लाइब्रेरी की किताब से पेपर में नकल करने के लिए काट लियें गये थे। वह परेशान हो गई कि अब जब किताब वापिस करेगी तो सारा इल्जाम उस पर आ जाएगा कि किताब के पन्ने उसने ही फाड़े है। शायद अब उसे किताब का मूल्य भी देना पड़े। नोट्स बनाने की बात तो वह भूल ही गई थी।
परिचय :- प्रीति शर्मा “असीम”
निवासी – सोलन हिमाचल प्रदेश
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