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खत चिट्ठी

डॉ. बीना सिंह “रागी”
दुर्ग छत्तीसगढ़

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याद आते हैं वह दिन जब हम
हाथों से खत लिखा करते थे
एक एक अक्षर से जैसे प्रेम स्नेह
नेह के पुष्प खिला करते थे

मास दो मास मैं कागज की जमीन पर
मन की बातें लिख पाते थे
जिसके नाम का संदेशा होता था
वह खुशी से फूले नहीं समाते थे

प्रिया की प्रेम भरी पाती पढ़कर
प्रियवर झूम कर इतराते थे
संदेशा हो अपने संतान का तो
माता-पिता हृदय से मुस्कुराते थे

डाकिया डाक लाया का इंतजार
करना बढ़ा अच्छा लगता था
पोस्टकार्ड हो या लिफाफा मे
लिखा प्रेम ही सच्चा लगता था

हमने माना खत के आने जाने में
वक्त की अपनी मजबूरी थी
फिर भी संबंधों में पावन खुशबू
और दिलों में ना कोई दूरी थी

हम कुछ पागल कुछ नादान
हर हाल में इंसान हुआ करते थे
याद आते हैं वह दिन जब हम
हाथ से खत लिखा करते थे.

परिचय :- डॉ. बीना सिंह “रागी”
निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़
कार्य : चिकित्सा
रुचि : लेखन कथा लघु कथा गीत ग़ज़ल तात्कालिक परिस्थिति पर वार्ता चर्चा परिचर्चा लोगों से भाईचारा रखना सामाजिक कार्य में सहयोग देना वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम में निशुल्क सेवा विकलांग जोड़ियों का विवाह कराना
उपलब्धि : विभिन्न संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान द्वारा सम्मानित टीवी चैनल में समय-समय पर कविता पाठ का प्रसारण अखिल भारतीय मंच में प्रस्तुति कई साझा संकलन और पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित


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