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आओ हम कुछ और बात करें

डॉ. सुलोचना शर्मा
बूंदी (राजस्थान)
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इस निराशा, उबाऊ, एकाकीपन से बाहर निकल..
‌आओ हम कुछ और बात करें…
‌उगते सूरज को देखें और
भूल जाएं निराशा की उस कालिमा को
‌जिसने लील दिया है हमारी खुशियों को…
‌और खो जाएं उन असीम ऊर्जावान रंगों में…
‌हम ओजस्वी अरुणोदय की बात करें!
आओ हम कुछ और बात करें!!

‌झांकें खिड़की से बाहर..
तिनका-तिनका कर एकत्र,
‌नाजुक सी डाल पर
हर बार पुनः – पुनः घरौंदा बुनती..
‌उस छोटी नन्हीं सी चिड़िया की बात करें…
‌आओ हम कुछ और बात करें!!

‌आंगन से डाली तक फुदक..
‌सख्त अखरोट तोड़,
अनंत उत्साह से अचंभित करती..
‌बताती अपने बुलंद इरादे….
‌उस सजग नाजुक सी गिलहरी की बात करें…
‌आओ हम कुछ और बात करें!!
‌ले क्षमता से अधिक भार…
‌सतत चढ़ती और उतरती..
‌फिर फिर अपनों को राह दिखाती
कर्म मार्ग पर बढ़ती, अपने शत्रुओं को ढकेलती परे…
उस अथक नन्हीं सी चींटी की बात करें!!
‌आओ हम कुछ और बात करें!!!

परिचय :- डॉ. सुलोचना शर्मा
निवासी : बूंदी (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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