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चलो ढूंढते हैं

सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जो खो गई कहीं
बचपन की गलियाँ
प्यारी सी सहेलियाँ
वो मीठी अठखेलियाँ
चलो ढूँढ़ते हैं…
जो छूट गई कहीं
वो पीहर की यादें
माँ के दिल की मुरादें
करते बाबा से फरियादें
चलो ढूँढ़ते हैं…
जो रह गए सपनें
वो मिलना जुलना
मदद को तैयार रहना
सारे त्योहार संग मनाना
चलो ढूँढ़ते हैं…
जो अतीत बन गए
वो जंगल में मंगल
नदियों की कलकल
वो खुशियों से भरे पल
चलो ढूँढ़ते हैं…
जो विलुप्त हो गए
वो संस्कार संस्कृति
पारिवारिक अनुभूति
सभ्य संसार की अनुकृति
चलो ढूँढ़ते हैं…

परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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