मुझे तुम भूल जाना
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रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर
मुझे तुम भूल जाना।
कभी ना याद आना।।
गुनाह मुझसे हुआ है,
तेरे आंसू चुराना ।।…..
मेरा बेताव था दिल,
उदासी छीन लूं में ।
रागिनी की कसम ,
जीभर देख मरूं में।
असर बेजान पर क्या
रोना, गिड़गिड़ाना ।।….
गुनाह मुझसे हुआ है,
तेरे आंसू चुराना ।।…..
मांग तेरी है सूनी,
चांद तारे सजाता।
तेरे आंगन में आकर ,
शहनाई बजाता।।
स्वप्न तो टूटते है,
नहीं इनका ठिकाना।।..
गुनाह मुझसे हुआ है,
तेरे आंसू चुराना ।।…..
एक वीरां चमन में,
बहारें ला रहा था।
गीत फिरसे हमारे,
मिलन के गा रहा था।।
बड़ा मंहगा पड़ा है,
पत्थर से टकराना ।।…
गुनाह मुझसे हुआ है,
तेरे आंसू चुराना ।।…..
परिचय :- विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है।
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