रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)
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सपनों को सच होने दो,
जीवन को मत रोने दो,
जीवन है बहुमूल्य हीरा,
जीवन को जग से जीने दो,
सपनों को सच होने दो तुम!रह ना जाए कोई बेकार,
जीवन को मत भूलने दो,
जीवन है फूलों का हार,
जीवन को जग जितने दो,
सपनों को सच होने दो तुम!प्यार के चक्कर मे पडोगे तो,
मोबाइल मे रहोगे तुम,
जीवन दो पल की चीज है,
इस पल को बर्बाद करोगे तुम,
सपनों को सच होने दो तुम!जीवन मे ऐसा करो तुम,
तुम्हारे पीछे पूरी जहाँ घूमे,
ना किसी के प्यार के चक्कर मे पड़ो तुम,
ऐसा करो की तुम्हारे चक्कर मे दुनिया पड़े,
सपनों को सच होने दो तुम!कॉल करके रास्ते मे बुलाती हो,
मिलने के बहाने पढ़ने जाती हो,
अभी तक तुम ना सम्भलोगी तो तुम,
तुम्हारी दुनिया नर्क बन जाएगी एक दिन,
सपनों को सच होने दो तुम!शिक्षक तुम्हें ज्ञान सिखलाते,
कभी ना तुमको गलत राह दिखलाते,
तुम शिक्षकों का आदर करोगी तो,
प्रेम का चक्कर छोड़ पुस्तकों से प्रेम करोगी तुम,
सपनों को सच होने दो तुम!अभी भी समय है तुम्हारे पास ,
पढ़ाई से प्रेम करोगी तुम ,
जीवन मे शिक्षकों को आदर करोगी तो ,
प्रेम से भी ज्यादा खुश रहोगी तुम ,
सपनों को सच होने दो तुम !सभलना है तो संभल जाओ,
अभी भी समय है छात्रों,
नर्क से बच सकतें हो तुम,
जीवन मे खुशियाँ चाहों तो,
सपनों को सच होने दो!शिक्षक के कहें पथ पे चलो तुम,
सारी खुशियाँ तुम्हें मिलेगी,
सारा जहाँ तुम्हारे पीछे-पीछे घूमेगा,
ऐसा जीवन जियो तुम तुम!
परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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