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लक्ष्मण ने खींची मर्यादा की रेखा

डॉ. कोशी सिन्हा
अलीगंज (लखनऊ)
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लक्ष्मण ने खींची मर्यादा की रेखा
थी यह अपनत्व भरी सुरक्षा की रेखा
सीता साध्वी सुलक्षिणी गुणखानी
कुल वंश मर्यादा उससे ही थी जानी
था चित्त व्याकुल, अशांत व आकुल
चिन्ताओं के उठ गिर रहे थे बुलबुल
धर साधु वेश कपटी रावण आया
भिक्षानंदेहि, की गुहार है लगाया
सतवन्ती कर्त्तव्यनिष्ठ प्रिया रघुवर
लेकर भिक्षा आयी, देने को सत्वर
जान मर्म रेख की, छली ने बाहर बुलाया
किंचित रुकी, पुन: भिक्षा देने, कदम बढाया
असुर विनाशन हित कैकेयी बनी ज्यों कारण
सीता भी, दु:ख सहने हित, बढ चली अभगन
यह लक्ष्मण रेख, रामकथा का है शिलालेख
संपूर्ण कथा की संरचना का भी है आलेख।

परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा
पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा
निवासी : अलीगंज लखनऊ
शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन
साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन,
प्रकाशित पुस्तक : “अस्माकं संस्कृति,” (संस्कृत भाषा में)
सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा “हिन्दी रत्न” सम्मान से सम्मानित, मुक्तक लोक द्वारा चित्र मंथन सृजन सम्मान, महात्मा गाँधी शांति सम्मान आदि से सम्मानित। निरन्तर लेखन कार्य में रत।)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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