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लावा

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रचयिता :  माया मालवेन्द्र बदेका

जब जब लिपटती है कसकर मुझसे वह
जी करता है
लावा बन जाऊं
बहा ले जाऊं उन दहेज के लोभियों को।
पाषाण बन जाती हूं,जब उसके नैन बरसते हैं।
समझाती हूं उन सारे तानों का मतलब।
जो उस निर्दोष को दिये गये।
ताने के अर्थ, हजार बिच्छुओं के डंक मुझे देते हैं।
ना समझ, नहीं समझ पाई ।
पूछती रही मतलब।
पहली बार पूछने पर बता देती काश
तो उससे ज्यादा, अर्थ समझती में।
उस पीड़ा से निकाल देती
जो मेरी समझी हुई, नासमझी से भोगी उसने।
दहेज के मीठे लोभियों
कटाक्षों के कुबेर।
घर से बाहर निकलना और दुनियां देखना।
धरती कूड़े करकट का ढेर नहीं
तुम्हारी गंदी मानसिकता से बोझिल हुई है।
बोझिल है उन बेटियों की भस्म से।
जो तुम्हारे मन के दानव ने जला दी।
चंद सिक्कों के भिखारी।
ईश्वर के पास कटोरा लेकर मत जाना।
वो बेटियों को बहुत प्यार करता है।
ऐसा न हो तुम्हारे कटोरे में सबक के लिए
वह कुछ भीख ऐसी दे, जो तुम्हारे लिए
 धधकता लावा बन जाये।
पाषाण बनी हूं, वज्र बनी हूं, अपनी नन्हीं के लिए।
पिघलूंगी नहीं उसके सामने।
नर्म बिछौना, उसका ह्रदय शुष्क हो गया।
अकाल तो पड़ेगा लोभियों।
ईश्वर नवाज़ता नहीं लोभियों।
बह रहा है लावा धीरे धीरे।
मां के आंसूओं का, ताउम्र तुम्हारे पीछे।
भागो कितना, भागोगे।
डूबोगे तो खत्म हो जाओगे।
डूबने के कगार पर हो, ऐसे ही रहोगे।
दौड़ते रहना दहशत में।
उपरी मुखौटे के साथ।
हर मां की आत्मा की शांति के लिए
दहेज के लोभियों के लिए
धधकता लावा बहता रहे।

लेखिका परिचय :-
नाम – माया मालवेन्द्र बदेका
पिता – डाॅ श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय
माता – श्रीमती चंद्रावली पान्डेय
पति – मालवेन्द्र बधेका
जन्म – ५ सितम्बर १९५८ (जन्माष्टमी) इंदौर मध्यप्रदेश
शिक्षा – एम• ए• अर्थशास्त्र
शौक – संस्कृति, संगीत, लेखन, पठन, लोक संस्कृति
लेखन – चौथी कक्षा मे शुरुवात हिंदी, माळवी,गुजराती लेखन
प्रकाशन – पत्र पत्रिका मे हिन्दी, मालवी में प्रकाशन।
पुस्तक प्रकाशन – १ मौन शबद भी मुखर वे कदी (मालवी) २ – संजा बई का गीत
साझा संकलन – काव्य गंगा, सखी साहित्य, कवितायन, अंतरा शब्द शक्ति, साहित्य अनुसंधान
लघुकथा – लघुत्तम महत्तम, सहोदरी
माळवी – मालवी चौपाल (मालवी)
विधा – हिंदी गीत, भजन, छल्ला, मालवी गीत, लघुकथा हिन्दी, मालवी व्यंग, सजल, नवगीत, चित्र चिंतन, पिरामिड, हायकू, अन्य विधा मे रचना!
सम्मान – झलक निगम संस्कृति सम्मान, श्रीकृष्ण सरल शोध संस्थान गुना द्वारा सम्मान, संस्कृत महाविधालय थाईलैंड द्वारा सम्मान, शब्द प्रवाह सम्मान, हल्ला गुल्ला मंच सम्मान रतलाम, मालवी मिठास मंच द्वारा, नारी शक्ति मंच जावरा, औदिच्य ब्राह्मण समाज,गुरूव ब्राह्मण समाज द्वारा सम्मानित, प्रतिकल्पा सम्मान जमुनाबाई लोकसंस्थान उज्जैन, द्वारा मालवी लेखन के लिए पांडुलिपी पुरस्कार, दैनिक अग्निपथ कवि साहित्यकार सम्मान, शुभसंकल्प संस्था इंदौर, शुजालपुर मालवी न्यास से सम्मानित, संवाद मालवी चौपाल, संजा और मांडना के लिए पुरस्कार
मुख्य ध्येय – हिंदी के साथ आंचलिक भाषा और लोककृति विशेष संजा को जीवंत रखना, बेटी बचाओ मुहिम मे मालवी हिन्दी मे पंक्तिया, संजा, मांडना संरक्षण पच्चीस वर्ष से अधिक भारत से बाहर रहकर हिंदी लेखन का प्रसार, आंचलिक बोली मालवी का प्रसार, मारिशस, थाईलैंड, हिंदी सम्मेलन में उपस्थिति व थाईलैंड में हिंदी गोष्ठी समूह में सहभागिता की।
संरक्षक – झलक निगम संस्कृति, संरक्षक शब्द प्रवाह
संस्थापक – यो माया को मालवो, या मालवा की माया।
अध्यक्ष – संस्कृति सरंक्षण
पुरस्कार प्रदत – “मालवा के गांधी” डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय “मालवा रत्न” स्मृति पुरस्कार!
निवासी – उज्जैन (मप्र)

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