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भाषा की व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका है।

मनीषा व्यास
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।

भारतेन्दु जी की ये पंक्तियां मनुष्य का संपूर्ण विकास करने में सहायक हैं। जो व्यक्ति अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करता है वो सभी विषयों को गहराई से समझने की योग्यता रखता है। विषय का गहनता से किया गया अध्ययन मनुष्य के स्वाभाविक विचार, तर्क शक्ति और चिंतन को दृढ़ बनाता है। जिससे व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव होता है। मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से किसी भी विषय और अन्य भाषाओं को सीखने में आसानी होती है।
विश्व भी इस बात का साक्षी है कि मनुष्य का संपूर्ण विकास अपनी भाषा अपने संस्कारों और अपने देश की संस्कृति को सीखकर उसे प्रस्तुत करने में है। आज हम इस बात के साक्षी है कि देश की संपर्क भाषा ही लोगों को अपनी बात कहने और समझने के लिए पर्याप्त है, इस बात पर कोई प्रश्न चिन्ह लग ही नहीं सकता। आज हम देखते हैं कि विश्व के किसी भी देश में व्यापार, व्यवसाय के उद्देश्य से जो भी व्यक्ति सफल हुआ है वह उस देश की संपर्क भाषा के जरिए हो सफल हुआ है। यह पूर्णतः स्पष्ट है कि भारत में हिंदी ही संपर्क भाषा के रूप में सशक्त है।
महात्मा गांधी ने कहा था राष्ट्रीय व्याहार में हिंदी को शामिल करना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि सरलता और शीघ्र सीखी जाने वाली भाषाओं में हिंदी सर्वोंपरी है। विवेकानंद, अरविंदो, डाक्टर राधा कृष्णन ने भी मातृभाषा शिक्षण के महत्व को स्वीकार कर उसकी गहनता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। किसी भी जनतंत्र की सफलता उसके नागरिकों के व्यवहार आचरण व चिंतन पर निर्भर करती है। इस चिंतन में भाषा की श्रेष्ठ भूमिका रहती है।
हिंदी अपनी गरिमा के कारण भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों के महाविद्यालयों में गौरवपूर्ण स्थान पा चुकी है। आज हम देखते है कि हिंदी बोलने वालों की संख्या विश्व में तीसरे स्थान पर है। भारत को समझने की दृष्टि से विश्व के लगभग १०८ देशों में हिंदी का अध्यन किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में ३३ विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन होता है। सोवियत संघ विश्व का पहला देश है जहां हिंदी भाषा और साहित्य का व्यापक आधार पर अध्यन अनुवाद और अनुसंधान कार्य चल रहा है। हिंदी ने रूस में अपनी गहरी जड़ें जमा ली है। बीते में हिंदी का नियमित शिक्षण तीन विश्व विद्यालयों में होता है। जर्मनी के १४ विश्व विद्यालयों हिंदी का अध्ययन होता है। हालैंड इटालियन आस्ट्रेलिया के केनबरा और मेलबर्न में हिंदी अध्ययन होता है। नीदरलैंड, जापान, मॉरिसश आदि स्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है।फिजी में हिंदी को असाधारण गौरव प्राप्त है। संसार भर में प्राथमिक स्कूलों की कुल संख्या २८५ है जिसमे २६० स्कूलों में नियमित रूप से हिंदी अध्यापन कार्य होता है। आज विदेशी भी हिंदी भाषा साहित्य में सृजन कर रहे हैं। हिंदी भाषा भारत ही नहीं विश्व की प्रतिष्ठित भाषा बनती जा रही है।

परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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