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उतरन

श्रीमती शोभारानी तिवारी
इंदौर म.प्र.

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देवकी सुनो, जी दीदी चलो मेरी मदद करो। दीपावली की साफ सफाई करनी में, चलो पहले मेरा कमरा साफ करते हैं। ऐसा करो मेरी अलमारी पहले साफ कर दो। अलमारी के सारे कपड़े निकाल लो, और जो पुराने हैं उन्हें अलग रखना, और जो नये हैं उन्हें अलग। फिर आवाज आई, देवकी देख तो यह सलवार सूट कितना सुंदर है? हाँ दीदी बहुत सुंदर है। तो ऐसा कर इसे अपनी बेटी ममता के लिए ले जा। इसे पहनकर ममता बहुत सुंदर लगेगी। और यह उसे  आ भी जाएगा। मैं तो केवल एक-दो बार ही पहनीं हूं। दीदी पर अरे ! पर वर कुछ नहीं, प्यार से दे रही हूं ना तो रख ले। यह  बात नहीं  है दीदी, मैं तो आपकी दी हुई हर साड़ी पहन लेती हूं, कभी मना नहीं करती। पर अपनी बेटी को उतरे हुए कपड़े नहीं पहनाऊंगी दीदी। देवकी के मुंह से यह बात सुनकर प्रभा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया।

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परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र.


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