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कृष्ण जन्माष्टमी

महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
सीकर, (राजस्थान)
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भाद्रपद कृष्ण अष्टमी
जन्में कृष्ण कन्हाई।
नन्द घर आनन्द भयों
घर – घर बजे बधाई।…..

आततायी कंस ने
ऐसा मचाया अत्याचार।
द्वापरयुग मथुरा नगरी में
छायी चहुंदिशा हाहाकार।
पिता उग्रसेन को
राजगद्दी से दिया उतार।
बहन देवकी-वसुदेव को
बंदी किया कारागार।
हो व्यथित नर-नार ने
प्रभु को पुकार लगाई।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी…..।

श्रीविष्णु के अष्टम रूप में
अवतरित हुए मदन मुरार।
दुश्वार घड़ी में रक्षा खातिर
था श्यामसुंदर का इन्तजार।
घनघोर घटाटोप मध्यरात्रि
सर्वपालक ने अवतार लिया।
नवजात शिशु रूप में
अथाह यमुना को पार किया।
वृंदावन में यशोदा आँगन
बजे ढ़ोल शहनाई।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी……।

नटखट नटवर नागर ने
बालपन में लीला रचाई।
बालसुलभ स्तनपान मस्ती में
पूतना राक्षसी मार गिराई।
बाल सखाओं के संग
माखन मिश्री चुराई।
प्रेम अलख जगाने को
यमुना तट पर बंशी बजाई।
सखियों संग हर्षित राधा
नंदगोपाल छवि नयन बसाई।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी…..।

सखा सुदामा के संग
संदीपनी आश्रम की पढ़ाई।
हलधर भाई की
जोड़ी बड़ी निराली।
तृणावर्त, वत्सासुर, बकासुर,
अघासुर राक्षसों को मार दिया।
काका अकरूर संग मथुरा पहुंच
मामा कंस का संहार किया।
नगर नगर आनंद उमंग छाई।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी……।

परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
निवासी : सीकर, (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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