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जन-मन का राजा

सपना
दिल्ली
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सौभाग्य है देवभूमि का
जिसने राजा वीरभद्र सिंह
सा नेता पाया…
समझ जनता को जो अपनी ही संतान
प्रेम, स्नेह उन पर लुटाते
अदम्य साहस पूर्ण व्यक्तित्व
जिया जीवन स्वाभिमान से
मन में न था उनके कोई वैर
जिससे मिलते उसे अपना बना लेते
न झुके न दिया झुकने औरों को
जिसने सबको प्रेमभाव से गले लगाया….
राजनीति के थे सच्चे सिपाही
देश प्रेम रहा सदा जिनके पहले
बाकी सब बाद में
इनके नेतृत्व में
हर क्षेत्र में, हिमाचल ने
शिखर छुएं कई-कई….
गाँव- गाँव का किया विकास
दीन-दुखियो की सेवा में
समर्पित रहे हमेशा
एक ऐसा नेता जो जनता की समस्याओं
को सुनने खुद जाते उनके बीच
सुन उनकी यूँ समस्याएँ
कोशिश सदा रहती उनकी
निर्वहन हो हर समस्या का..

देखो कैसा सन्नाटा आज यहाँ छाया
क्या विपक्षी, क्या प्रतिद्वंद्वी
शोक मना रहा आज समस्त हिमाचल
अपने प्रिय नेता को खोकर
विशाल हिमालय भी आज मौन खड़ा
धरती माँ भी अपने इस बेटे को

सीने से लगाने तरस रही है
देवभूमि का हर वासी
अश्रु आखों में लिए
करने आया आज अंतिम दर्शन
अपने प्रिय नेता का…

चुप नहीं रहा जाता अब
जनता आप से पूछ रही
जाना क्या इतना जरूरी था
जो अपनी ही प्रिय प्रजा को
यू अकेला छोड़ चले गएं।

परिचय :- सपना
पिता- बान गंगा नेगी
माता- लता कुमारी
शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी)
साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता तथा प्रपत्र वाचन एवं विभिन्न पत्रिकाओं/ संपादित पुस्तकों में विभिन्न विषयों पर शोधालेख प्रकाशित। साथ ही साहित्य सिनेमा सेतु वेबसाइट पर कुछ कविताओं का प्रकाशन।
निवासी- दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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