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अपना ईमान कायम रखें

अतुल भगत्या तम्बोली
सनावद (मध्य प्रदेश)

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नैतिक शिक्षा हमें हर प्रकार के नैतिक ज्ञान से परिपूर्ण करती है। नैतिकता जीवन में जब मुसीबतें आती है तो अपना होंसला कायम रखने का जज्बा प्रदान करती है। बात उन दिनों की है जब हरि नाम का एक गरीब व्यक्ति अपनी गरीबी से परेशान था। उसने परिश्रम करने में कोई कमी नही रखी लेकिन उसकी मेहनत सामने ना आ सकी। लंबे समय के बाद वह और उसकी मेहनत एक धनी व्यक्ति की नज़रों में आ गयी। उसने हरि को अपने घर पर आने के लिए कहा। हरि दूसरे ही दिन उस व्यक्ति के घर पहुँच गया। उसने हरि को अपने खेत खलिहानों की निगरानी एवं मजदूरों से काम करवाने का उसे काम दे दिया। हरि बड़ा खुश था। उसने कभी ये उम्मीद ही नही की थी कि उसे इस प्रकार काम भी मिल पायेगा। बड़ी शिद्दत व ईमानदारी से वह अपना काम करता था। मालिक की नज़र में उसने अविश्वसनीय स्थान पा लिया था। अब वह एक नौकर की तरह नही बल्कि परिवार के एक सदस्य की तरह स्थान बना चुका था। एक दिन किसी ने मालिक को हरि के खिलाफ भड़का दिया कि वह उसके भरोसे का फायदा उठा रहा है। लेकिन वह हरि की ईमानदारी से भलिभाँती परिचित था। उसे जरा भी उस पर कोई शक नही था। फिर भी मन की तसल्ली के लिए उसने हरि को मजदूरों को मजदूरी देने के लिए चौंतीस हजार रुपये देते हुए कहा कि इसमें मजदूरों को भुगतान करने के लिए तीस हजार रुपये है। पिछले सप्ताह मंडी से लाकर रखे थे। ये उन्हें बाँट देना। जब मजदूरों का भुगतान हुआ तो रुपये बताए हुए रुपयों की तुलना में चार हजार ज्यादा थे। उसने बचे हुए रुपये अपने मालिक को यह कहकर लौटा दिए कि शायद उनसे कुछ भूल हुई होगी क्योंकि रुपये उनके बताए रुपयों से ज्यादा थे। मालिक ने बिना कुछ कहे वो पैसे रख लिए व मन ही मन खुश थे कि जिसपर उसने भरोसा किया। उसका भरोसा बेबुनियाद नही था। उस दिन के बाद हरि ने उसके मन में ईमानदारी की एक मिसाल बनकर जगह बना ली। इसलिए जब भी आपके साथ कोई ऐसी घटना घटे तो विचलित होने के बजाय अपने ईमान पर कायम रहे शायद कोई आपकी परीक्षा ले रहा हो।

परिचय :- अतुल भगत्या तम्बोली
निवासी : सनावद, जिला खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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