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एक शाम शहीदों के नाम काव्यांजलि का गरिमामय आयोजन

रीवा। मऊगंज विधानसभा के पहाड़ी कस्बे में पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की वर्षी पर एक शाम शहीदों के नाम काव्यांजलि कवि सम्मेलन का गरिमामय आयोजन किया गया। जिसमें भारी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित होकर शहीदों की शहादत को सलाम किया। काव्यांजलि कार्यक्रम का आगाज अमर शहीदों एवं माँ भारती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ काव्यांजलि कार्यक्रम में उपस्थित कवयित्री कुंदन पांडे ने कवि सम्मेलन का आगाज माँ वाणी की वंदना से की। तत्पश्चात युवा ओजकवि कामता माखन ने शहीदों के सम्मान में रचना पढ़ी एवं सवाल खड़ा किया कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले कहने वाले नेता शहीदों के परिवार की सुध लेने तक क्यों नहीं जाते। कवयित्री क्रांति पांडे ने एक से बढ़कर एक मुक्तक पढ़े – ना गीता मानती हूँ ना कुरान मानती हूँ।
माता-पिता को ही भगवान मानती हूँ।


लालगांव से पहुंचे कवि आशीष तिवारी निर्मल ने कौमी एकता की बघेली रचना पढ़ी – मस्जिद मा घंटी बजय मंदिर होय अजान। अईसा चाहित हय हम आपन हिन्दुस्तान…. ओज कवि नीरज निर्मोही ने अपने ओज वाणी से पंक्तियाँ पढ़ कर सभी श्रोताओं को भारत माता जय के नारे लगवाये नीरज निर्मोही ने रचना पढ़ी – शहादत का चुकाऊं कर्ज इतनी है नहीं ताकत, शहीदों के बने हर चित्र को मैं चूम लेता हूं…. रामलखन सिंह बघेल महगना ने शहीदों के सम्मान में बघेली रचना पढ़ी। गीतऋषि वरेण्य रचनाकार डाक्टर राजकुमार शर्मा राज ने गीत – पूंछय अम्मा से अपने गभुआर के पापा काहे आयें… नही पढ़ कर कवि सम्मेलन को ऊंचाई प्रदान की। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे कवि अमित शुक्ला ने मानवीय संवेदनाओं पर रचना पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल संजय मिश्र, आशुतोष सिंह ईशू सहित ग्रामवासियों ने भरपूर सहयोग किया। इस दौरान शिक्षा, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में राजेश द्विवेदी,शशिकांत तिवारी, नीरज निर्मोही को सम्मानित किया गया। आये हुए कवियों का सम्मान शाल श्रीफल से वरिष्ठ समाज सेवी गजराज सिंह के हाथों किया गया। अध्यक्ष विहिप शहडोल विभाग के संगठन मंत्री अरविन्द तिवारी द्वारा सबका आभार व्यक्त किया गया। तथा ऐसा कार्यक्रम पुनः आयोजित कराने की बात कही। अंकित वर्मा, कमलनयन, रवि, प्रदीप, रज्जन सहित हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता लगभग दो बजे दिन से रात ग्यारह बजे तक काव्य रसपान करते रहे।


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