इंदौर। यह उद्गार अपनी चैथी काव्यकृति ‘ज्योति काव्य मंदाकिनी’ के विमोचन पर वरिष्ठ कवि एवं गीतकार श्री सुरेश चन्द्र दुबे ‘ज्योतिकानपुरी’ ने व्यक्त किये। ऑडिट ऑफिसर के पद पर रहते हुए, अनेक अखिल भारतीय मंचों पर अपने अनेक विधाओं में सस्वंर काव्य पाठ करने वाले, श्री ज्योतिकानपुरीजी ने कविता के प्रति अपने समर्पण भाव को यथावत रखा। अपने उद्बोधन में उन्होंने यह भी कहा कि ‘जीवन के उत्तरार्ध में कल्पना शक्ति ही अमृत रस का काम करती है। इसी अमृत से ही भाव धारा निकल कर शब्द ब्रह्म की साधना कवि करता है और समाज में अपने सुख दुःख बांटता है।’
क्रांति कृपलानी नगर के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथि थें वरिष्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन, कान्यकुब्ज समाज के अध्यक्ष श्री विष्णुप्रसाद शुक्ला, वरिष्ठ प्रध्यापक डाॅ पुष्पेन्द्र शुक्ला, ‘देवपुत्र’ के प्रधान संपादक श्री कृष्णकुमार अष्ठाना, ‘युगप्रभात’ के प्रधान संपादक श्री जीवन साहू, दधीच बाह्मण समाज के अध्यक्ष, श्री प्रकाश व्यास, कवियत्री, लेखिका, योगाचार्य डाॅ सुरेखा भारती नगर के अनेक कविगण साहित्यकार, पत्रकार इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘कविता संजीवनी है, जिसने साल भर पहले पेरालिसिस अटैक आने के बाद भी ज्योतिकानपुरी का आत्म विश्वास जगाये रखा और उन्होंने अपनी काव्य कृति समाज के सामने प्रस्तुत की । डाॅ सुरेखा भारती ने कहा कि आदरणीय ज्योतिकानपुरीजी शब्द ब्रह्म के साधक हैं, वे ऐसे वट वृक्ष हैं, जिनकी छाँव में कोपलों ने विस्तार किया और इस वटवृक्ष ने कोपलों को बढने के लिए अपनी टहनियों को भी समेट लिया। उनकी काव्य कृति ‘ज्योति काव्य मंदाकिनी’ के एक रचना का सस्वंर उन्होंने पाठ किया जिसे श्रोताओं ने बहुत सराहा। श्री विष्णुप्रसाद शुक्लाजी ने कहा कि ‘ज्योतिकानपुरी का जितना साहित्य के प्रति योगदान रहा है उतना ही समाज के प्रति भी रहा है।’ वे समाज सेवी भी है। श्री कृष्णकुमार अष्ठाना जी ने उनके वीर रस की कविताओं की प्रशंसा की। डाॅ पुष्पेन्द्र दुबे ने उनके कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘उनकी कविताओं में अध्यात्म, दर्शन, समाज, राष्ट्र, की बात है’। जीवन साहुजी ने उनके सरल सहज व्यक्तित्व के संस्मरण सुनाएं।
माॅ सरस्वती की वंदना और राष्ट्र वंदना, वरिष्ठ कवि कैलाश जैन ने की। अतिथि एवं समाज सेवियों का स्वागत, शोर्य कुमार दुबे ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि एवं शायर श्री सुनील कुमार मुसाफिर ने किया। आभार प्रदर्शन कविवर रामचन्द्र अवस्थी ने किया।
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