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कथासम्राट प्रेमचंद

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)

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कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन!

हे आर्यावर्त के सूर्य! तुम्हें क्या दीया दिखाऊँ!!
हे मानवता के दिव्य उज्ज्वल रूप! बलिहारी जाऊँ।

दीन – हीन-पीड़ितों के हित लहराय तुझ हिय में प्रखर :
कैसी अप्रतिम उत्कट सहानुभूति का अगाध सागर!

सादा जीवन जीया औ सदा ही रखे उच्च विचार!
अपनी कथनी करनी से दिखाय सदा उच्च संस्कार!!

साहस, संघर्ष, पौरुष के साकार रूप रहे सदा तुम!
सदा ही किये चुनौतियों और मुश्किलों का सामना तुम!!

जीवन के पथ पर अनवरत चलते अनथक राही तुम!
सतत् प्रेरणा के शुभ स्रोत बने परम उत्साही तुम!!

बालकाल से ही जीया अभावों का दूभर जीवन!
खेलने-खाने की उम्र से ही करन लगे चिंतन-मनन!!

मांँ की ममता से भी वंचित, हा महज आठ की वय में!
झेला विमाता का दुर्व्यवहार औ पिता का धिक्कार!!

कैशोर वय में ही आ पड़ा तेरे कोमल कंधों पर :
पूरे परिवार-पाल-पोस के दायित्वों का गुरुभार!!
ऊपर से सुन ली तूने भारत मांँ की करुण पुकार!

दे त्यागपत्र :स्वातंत्र्य की बलिवेदी में दिया हवन!
जीवन औ समाज में व्याप्त भारी विसंगतियों का…
कराया अपने विशाल कथा साहित्य में दिग्दर्शन!!

ठेठ जन-समाज-जीवन के हे के अनुपम कुशल चितेरे!
कथाओं में तु मनुष्य समाज के सच्चे चित्र उकेरे :

आम आदमी की घुटन के, चुभन के,रुदन-सिसकन के…
हृदय की पीड़ा अ दर्द के, मन की कसक के, कचोट के… !!

युगीन दलित समाज के हृदय विदारक कटु जीवन के… !
बुधिया की प्रसव पीड़ा से छटपटाते स्त्री सखा के … !

कृषि जीवन की घोर त्रासद गाथा कहते होरी के… !
जीवन के कंटकाकीर्ण पथ पर कदम ब कदम मिलाती..
भारतीय नारी का आदर्श प्रस्तुत करती धनिया के… !!

छबीली गोरी झुनिया के… तिनकके युवा गोबर के…
आधुनिक युग के ध्वजवाहक मालती अ मेहता के … !!

धरती पर जीवंत न्याय-परभु पंच परमेश्वर की…!
अभागी के स्वर्ग की, निराश्रित बूढ़ी काकी जी की !

ठाठ पूस की रात की, ठाकुर के कुएं की कथा कही…
वास्तविकता की जमीन पर पकी यथार्थ जीवन की… !

जानना हो यदि उत्तर भारत का रूप-चरित्र – व्यवहार!
तिरी कहानी -उपन्यासों में पढ़ें जीवंत जन आचार!!

भारत के चिंतन मनन, संस्कृति औ आदर्श को कर वर्णित…
कहानियों में अपने युग को तूने कर दिया मूर्तित!!

कल्पना, किस्सागोई की कपोल दुनिया से निकाल:
दी हिंदी कहानी को सार्थक जिंदगी! नई पहचान!!

विसंगतियों पर काल-कुठार बन के करे कलम प्रहार!
कलम के जादूगर! तिरा मानवतावादी स्वर प्रखर!!

हे आधुनिक कथा साहित्य के जनक! बने कथासम्राट!!
क्रांतिदर्शी कालजयी कथाकार तु युगचेता विराट!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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