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करवा चौथ आस्था और प्रेम

केशी गुप्ता
(दिल्ली)

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कुदरत ने औरत को जितना शारिरिक तौर पर कोमल बनाया है उतना ही उसे प्यार , ममत्व से भरा है . हमारी भारतीय संस्कृति पुरूष प्रधान रही है . औरत का अस्तित्व सदैव पुरूष से जोड़ा जाता है . अधिकतर परंम्पराएं या दायित्व  औरत से ही जोड़े  है . करवा चौथ का व्रत भी उन्ही परंम्पराओं का हिस्सा है . अलग अलग धर्मो और जातियों के अपने अलग अलग रिवाज तथा आस्थाएं है .  महिलाएं कई तरह के व्रत रखती है , जिनमें से एक करवा चौथ का व्रत है . जिसे पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है . कई कंवारी लड़कियां भी अपने प्रेमी के लिए या गणपति जी से अच्छे पति की  कामना के लिए रखती है . इस व्रत के अनुसार सुबह तारों की छाय में सरगी खाई जाती है , उसके बाद दिन भर चादं निकलने तक पानी या भोजन कुछ नही . चांद निकलने के बाद चादं को अर्क दे कर ही व्रत खुला जाता है .
इस व्रत को लेकर स्त्रियों में उत्साह देखने को मिलता है क्योकिं इस दिन वह सौलह सिंगार कर तैयार होती है , एक नई नवेली दुल्हन की भातिं . बाजारों में खुब रौनक होती है हर त्यौहार या व्रत आस्था पर आधारित है . विज्ञान के नजरिए से देखे तो व्रत रखने से शरीर  /पेट की सफाई होती है मगर यदि आस्था से जोड़ा जाए तो ईश्वर से उपासन कर अपनी इच्छा की पूर्ति की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है . बहुत से लोग आस्था के नाम पर अपने शरीर को कष्ट देते है . कोई भी प्रार्थना तभी सफल होती है , जब आस्था के साथ विचार शुद्ध हो . जीवन और मृत्यु ईश्वर के हाथ में है मगर व्रत तथा प्रार्थना की अपनी जगह है . सवाल ये है कि सिर्फ औरत ही क्यों अपने पति , बेटे की लंबी उमर की उपासना के माध्यम से कामना करती है ?
बागबान फिल्म के पश्चात से कई पुरूषों ने भी करवा चौथ का व्रत रखना शुरू कर दिया है . व्रत का रखना प्रेत्यक व्यक्ति की अपनी आस्था और सोच पर निर्भर करता है मगर जरूरी है संबधों का मजबूत होना, उनमें मिठास का होना . यह त्यौहार सास बहु के रिश्ते को भी बांथने का काम करता है. सास बहु को सिंगार का सामान तौहफे में देती है तो बहु सास को खाने पीने तथा अन्य तौफे दे आशीर्वाद प्राप्‍त करती  है . भारतीय त्यौहार तथा परम्पराएं लोगो को जोडने का ही काम करती है मगर कुछ संकीर्ण सोच के लोग उसे  गलत दिशा दे देते है . जब करनी और कथनी एक हो तभी कोई भी प्रार्थना काम करती है . व्रत की कसौटी पर प्रेम तौला नही जा सकता . ये एक जरिया है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का, जरूरी है आस्था के साथ प्रेम का होना

लेखक परिचय :- केशी गुप्ता लेखिका, समाज सेविका
निवास – द्बारका, दिल्ली


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