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बस एक बात कहनी थी तुमसे

पूजा त्रिवेदी रावल ‘स्मित’
अहमदाबाद (गुजरात)

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बस एक बात कहनी थी तुमसे कहती हूं।
तेरे सारे लेक्चर बेमन मैं बस सहती हूं।

कितनी शिक्षा दोगे अब कबसे गिनती हूं।
कैसे समझाऊं किस तरह मैं झेलती हूं।

तुझसे तो अच्छी है वह गणित की टीचर,
पहाड़ा याद कर उनसे चोकलेट तो पाती हूं!

और अंग्रेज़ बने बगैर ही अंग्रेजी सिख
पटर पटर बोल अंग्रेजी अब इतराती हूं।

और क्या हाल था मेरी भूगोल का सोच,
अब अमेरिका लंदन से अलग भांप पाती हूं।

इतिहास के पन्नों पर मैं भी चमकूगी कभी,
सोचकर आज भी मैं खूब मुस्कुराती हूं।

गुजराती और हिन्दी की सारी कहानियां सुन
अब मैं भी कहानी लिख जाती हूं।

बस एक तू ही है जो एक्जाम पहले लेती है,
वरना तैयारी करके अच्छा प्रदर्शन कर जाती हूं।

लाड़ली बनती थी हर टीचर की मैं और
टीचर अब मैं रोज़ खुद की ही बन जाती हूं।

पर नहीं बनना लाड़ली तेरी सुन ले,
एय जिंदगी तुझे जैसी टीचर से मैं कतराती हूं।

ना तेरा सिलेबस खत्म होता है ना एक्जाम,
रोज़ ज़िंदा रहकर खुद बहतर होती जाती हूं।

परिचय :- पूजा त्रिवेदी रावल ‘स्मित’
निवासी : अहमदाबाद (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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