राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)
********************
चित्रा, दीदी मुझें जीजू बड़े अच्छे लगते हैं। अच्छा जी, मुझें तुम्हारे इरादे से ठीक नहीं लग रहे। रीता ने हँसते हुए कहा, दीदी सावधान हो जाओ। मैं जीजू को आप से चुरा लूँगी एक दिन। क्या तुम सच कह रही हो? कमल, तुम्हें इतने पसंद है। दीदी, उनकी हँसी बिल्कुल बच्चों जैसी हैं। कितने शर्मीले है, बोलना तो जैसे उन्हें आता ही नहीं है। रंग-रूप तो सभी को लुभाता है, पर मुझें तो उनका स्वभाव बहुत अच्छा लगता हैं। क्या बात जीजू का बड़ा बारीक अध्ययन हो रहा है? चित्रा बोलती जा रही थी। मैं मूक-दर्शक बनी उसे देख रही थी। वैसे भी दीदी बड़ी शान्त स्वभाव की है।
हमेशा हम दोनों एक ही चीज की जिदद करती थी बचपन में, हम दोनों को एक तरह के कपड़े और खिलौने चाहिए थे। वह मुझसे दो साल छोटी थी। मम्मी बताती थी, जब मेरा स्कूल में एडमिशन करवाया गया था, तो उसमें रो-रो कर बुरा हाल कर दिया था। तोतली जुबान में मेरी दीदी रीता कहाँ गई? सारा दिन बस आने का इंतजार करती रहती थी। बस आते ही मेरा बैग ले लेती थी। बैग कन्धे पर लटका कर घूमती रहती थी पूरे घर में। अब मैं भी स्कूल जाऊंगी।
छोटी माँ, चित्रा को बड़े प्यार से समझाती थी। तुम बड़े स्कूल में जाना, दीदी का स्कूल तो गन्दा हैं। नहीं-नहीं मैं तो दीदी के स्कूल में ही जाऊंगी। उसे मुझसे बड़ा प्यार था। मैं भी उसके बिना कहाँ रह पाती थी? छोटी माँ ने उसका एडमिशन भी मेरे स्कूल में करवा दिया था। कुछ दिन तो वह जिदद करके मेरी ही कक्षा में बैठी रहती थी।
कमल का फोन था। इससे पहले मैं बात शरू करती, चित्रा ने फोन छीन लिया। दीदी पहले मैं बात करूंगी। ठीक है पहले तुम ही बात करो। फिर तो जीजा-साली जो बात करते हँसी के फव्वारें फुट पड़ते। हाँ, नहीं,अच्छा यही शब्द सुनाई देते मुझें। कमल जी उससे बहुत घुल-मिल गए थे। कमल ही उससे कहते थे। क्या थोड़ी देर रीता से बात हो सकती है?
हाँ-हाँ लो दीदी अब आप बात कर लो। मेरा तो कोटा पूरा हो गया है। नहीं-नहीं कुछ बचा हो तो वह भी पूरा कर ले। और मैं हँस पड़ती।
नहीं दीदी कहकर वह कमरे से चली गईं। कमल मुझसे मेरी तबियत के बारे में पूछते। दवाई समय पर ले रही हो या नहीं। क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती? याद तो सारा दिन आती है, तुम्हारे साथ बिताए पल तो मेरे जीवन में मोती के समान है। वह फोन पर भावुक हो उठते थे। अच्छा चित्रा की किसी बात का बुरा तो नहीं लगा। नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। कब आओगी घर? हर बार यही उनका आखिरी सवाल होता था।
डिलीवरी के बाद, अपना ख्याल रखना। कह कर फोन काट दिया था। डिलीवरी होने में अभी दो महीने बाकी थे। मम्मी मेरा पूरा ख्याल रखती थी। चित्रा और छोटी माँ तो यह खा लो, वह खा लो। नारियल की गिरि खा लो, बच्चा दूध जैसा सफेद होगा। खूब जूस पिया करो। बाल-गोपाल की फोटो मेरे कमरे में लगा दी। मुझें खास हिदायत दी थी कि सुबह उठते ही पहला काम उन्होंने निहारने का था। ताकि बच्चा उनकी तरह नटखट हो।
पता नहीं क्या-क्या हिदायतें देती रहती थी, छोटी माँ। चित्रा तो बस इतना ही कहती थी। दीदी अपना बेटा मुझें दे देना। ठीक है तुम ही रखना उसे। मौसी जो बनोगी। नहीं मैं तो उसकी मॉम बनूंगी। अच्छा बाबा जो तुम्हारा दिल करे बन जाना। मैं उसके आगे हमेशा हार मान लेती थी। छोटी माँ, अक्सर उसकी अनुपस्थिति में उसकी शादी की चिंता जाहिर करती थी। बेटी कमल जैसा ही कोई अच्छा लड़का मिल जाए। कमल का कोई भाई भी नहीं है। वरना उसी से कर देती इसका ब्याह। छोटी माँ आप चिंता क्यों करती हो? जब समय आएगा, सब कुछ ठीक हो होगा।
चित्रा पढ़ाई-लिखाई में हमेशा अव्वल ही रहती थी। रंग-रूप में तो वह मुझसे बहुत आगे थी। मैं बहुत गम्भीर थी, और वह इसके विपरीत थी। बीएससी कंप्लीट हो चुकी थी। आगे वह पढ़ना नहीं चाहती थी। मैं कई बार उससे कहती थी आगे पढ़ाई कर लो, नहीं दीदी अब मैं बोर हो गई हूँ। सारा दिन किताबें-किताबें मैं थक गई हूँ।
दीदी, जब आप पहली बार कमल जीजू से मिली थी। आपको प्यार हो गया था उनसे। कहते हैं ना, प्यार पहली नजर में ही हो जाता है। नहीं, उन्होंने कोई प्यार भरी बातचीत नहीं की थीं। बस पढ़ाई-लिखाई, मेरी पसंद नापसंद क्या है यही पूछते रहे थे? क्या आपने भी उनकी पसंद पूछी थी? उन्हें भी तुम्हारी तरह पुराने गाने सुनना बहुत पसंद है। अच्छा दीदी, मैं तो यही सोचती थी कि मुझें ही पुराने गाने पसंद है। वरना हमारी उम्र की लड़कियाँ तो नए गाने ही पसंद करती है। मेरी क्लास की लड़कियाँ तो यहीं कहती हैं। तुम अपने नाम की तरह ही पुराने गाने पसंद करती हो।
पर दीदी तुम्हारी तो संगीत में रुचि नहीं है। क्या तुमने अपनी पसंद के बारे में, हाँ मैंने भी उन्हें अपनी रुचि बता दी थी कुकिंग? वे हँस पड़े थे, अरे वाह, बढ़िया खाना और पुराना गाना मेरी जिंदगी ही बदल जाएगी। उनकी हँसी बच्चों की तरह हैं, यकीन नहीं होता था पुलिस विभाग के इतने बड़े अफसर और इतने सहज। शुरू में तो मैं बहुत घबरा रही थी। पुलिस वाले से शादी ना बाबा ना। पुलिस वालो की छवि तो हम सभी जानते हैं अनुशासन। कभी-कभी लगता था, क्या पुलिस वाले रोमांटिक होते भी हैं या नहीं। पर कमल को देखकर मेरी पुलिस वालो के प्रति सोच पूरी तरह बदल गई थी।
जब शादी के बाद, उन्होंने मुझसे मूँग का हलवा बनाने को कहा, पर कम मीठा, हलवा वो भी कम मीठा। जब वो हलवा खाने लगे, मुझें से रहा नहीं गया। आप हलवा कम मीठा लेते हैं। हलवा कम मीठा ही अच्छा होता हैं, तुम बस मीठा-मीठा संगीत चला दो। हलवा खुद ब खुद मीठा हो जाएगा। हाऊ रोमांटिक दीदी? तुम्हें बड़ा रोमांटिक लग रहा है।
मैं तो सोच रही थी कि मुझें अपने पास बैठाएंगे, प्यारी-प्यारी बातें करेंगे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। दीदी आप झूठ बोलती हो। जीजू आपको बहुत प्यार करते हैं आपकी केयर करते है। चित्रा मुझें लगता है तुम्हारी और कमल की जोड़ी ही ठीक रहती है, मैं तो बीच में आ गई। अच्छा दीदी, जीजू को योगा करना बहुत पसंद है। अरे हाँ, सुबह से ही शुरू हो जाते हैं। तुम्हें तो पता है मुझें देर तक सोने की आदत है। वह भी तुम्हारी तरह योगा करते हैं। उनका पहला काम योगा ही है, चाहे सर्दी, गर्मी या बरसात हो। योगा करना नहीं छोड़ते। तुम भी तो रोज योगा करती हो। हाँ दीदी इससे मन को शांति मिलती है और तन मजबूत होता है। क्या मेरा तन मजबूत नहीं हैं? फिर मैं खुद के ही सवाल पर झेंप गई थी। चित्रा मन्द-मन्द मुस्कुरा रही थी। दीदी, आप तो बहुत सुंदर हो, तभी तो कमल जी ने आपको देखते ही पसंद कर लिया था। क्या मैं सच में सुंदर हूँ, मुझें नहीं लगता?
पर छोटी माँ हमेशा कहती थी रीता तुम बहुत सुंदर हो। किसी फिल्मी हीरोइन की तरह, सुंदर काया और उससे भी सुंदर है, तुम्हारा व्यक्तित्व। तुम्हारा शील स्वभाव, तुम्हारे होने से घर में शांति रहती है। छोटी माँ बस भी करो। मुझें तो चित्रा का स्वभाव अच्छा लगता है।
चित्रा, वह तो एक नंबर की शैतान है। सारा दिन संगीत सुनना, यही सब पसंद है उसे। और वह कौन सा गाना गाती है, “आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल हमें”। बताओ आजकल की लड़कियाँ तो नया संगीत पसंद करती है और उसकी सुई वही अटकी है।
बड़ी माँ क्या हुआ? आप रो क्यों रो रही हो? दीदी कहाँ है? बताओ ना, वह हॉस्पिटल में है। डॉक्टर कह रहा है प्रीमेच्योर डिलीवरी करनी पड़ेगी। छोटी माँ ही साथ गई है। बड़ी माँ आप चिंता ना करो, सब ठीक हो जाएगा। चलो माँ, जीजू-दीदी के पास चलते हैं। सब ठीक हो जाएगा। जीजू की आँखे नम थी। वह कुछ भी बोल नहीं पा रहे थे। ऑपरेशन हो गया था। बेटा हुआ है, पर दीदी की तबीयत ठीक नहीं है, डॉक्टर क्या कर रहे छोटी माँ? मैं चिल्ला पड़ी! उसकी जान को खतरा है, वह तुम्हें बुला रही है। दीदी, आपको कुछ नहीं होगा। चित्रा, सुनो मेरी बस एक चाहत है। अगर मुझें कुछ हो जाए, तो तुम मेरे बेटे और कमल को संभाल लेना। दीदी, ये आप क्या कर रही हो? आपको कुछ नहीं होगा। रीता की सांसें उखड़ रही थी। कमल उनका हाथ पकड़े रो रहे थे। दीदी के आखिरी शब्द यही थे। तुम मेरी बस एक चाहत पूरी कर देना। करोगी ना, बोलो! मेरी छाती फटी जा रही थी। दीदी तुम हमें छोड़कर नहीं जा सकती।
आज मेरी शादी हैं, कमल से। गोद में बैठा मेरा बेटा मुझें देख रहा है। जैसे कह रहा हो, मम्मी की चाहत पूरी हो गई ना। मैंने उसे गले से लगाकर, खूब चूमा। ऐसा लग रहा था जैसे दीदी मुझें आशीर्वाद दे रही थी। बस एक चाहत पूरी होने पर….।
परिचय : राकेश कुमार तगाला
निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻