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हर्ष, आनन्द और खुशी

रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.

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विश्व के हर देश में उत्कर्ष होना चाहिए।
हर कुटी हर इमारत में हर्ष होना चाहिए।
दूर हो दुनिया से सब दुख,दुराशय एवं दुराव,
समापित भू से समर-संघर्ष होना चाहिए।

ज़िन्दगी में हर्ष हो, आमोद हो, आनन्द हो।
अब कहीं संसार में संग्राम हो ना द्वन्द हो।
हों विवादित विषैले वचनों के सब व्यापार बन्द,
मनुज के हर शब्द में हो अमिय या मकरंद हो!

कच्चे घर में चूल्हे होते थे माटी के!
आदी थे सब परंपरागत परिपाटी के!
कितनी मीठी लगती थी मक्का की रोटी,
कितने थे आनन्द मालवा की बाटी में!

एक ओर दीपों की जगमग, दूजी ओर अंधेरा भी है!
कहीं जश्न है ख़ुशहाली का, कहीं दुखों का डेरा भी है!
कहीं स्नेह का रत्नाकर है,कहीं स्नेह का गहन अभाव,
कहीं कमी है कुछ तेरी भी, कहीं दोष कुछ मेरा भी है!

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परिचय –  रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।


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