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जिंदगी की सफर

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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जिंदगी की सफर में
याद कोई आता है!
गुजर गई जो कारवाँँ
वह मुकाम याद आता है!
जब चेहरे पर थकान होता
वह ‘दीपदान’ याद आता है!
जब चाँदनी भरपूर होती
वह राग याद आता है!
‘रजनीगंधा’ की महक होती
‘हँसनी’ सी तेरी चहक होती!
वह ‘कदमताल’ याद आता है
इस उम्र की ढलान में!
वह कसक याद आता है
रच रहा हूं नीत ‘कविता’
तुम गाओ सुरीली कंठ से
‘ नीलकंठ’ मै भी बन गया!
मजबूरियां भी ऐसी थी
‘ वियोगिनी’ तू बनी वियोगी मैं बना!
ना तुझे कोई शिकवा हो,
न कसक हो मुझे!
इस दुनिया में असंख्य
रह रहे जुदा-जुदा!
इस कोरोना काल में
तो सुरक्षित रहो सदा!
गंगा सी तू निर्मल बनो
अनवरत बहती रहो!
ऋषियों कि इस देश में
अभय दान देती रहो!

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परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


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