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पत्रकार

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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वाचिक पत्रकारिता के नारद प्रथम सूत्रधार!
राजा राममोहन राय दे दिए इसको तेज धार!!

पत्रकार कहलाते लोकतंत्र के चौथे स्तंभ!
इसी महत्वपूर्ण स्थान का आज इन्हें है दंभ!!

विरुदावली गाकर पहुंँचाते हैं ये किसी को अर्श!
खोज खोज अवगुण किसी का ला पटकते हैं ये फर्श!!

खोज खोज के गड़े मुर्दे भी लेते हैं ये उखाड़!
गुप्त सत्य उजागर कर जग को बताते हैं दहाड़!!

सम्मानित रहे ये समाज में अरु आदर के पात्र!
पर आज के युग उगते यहाँ कुकुरमुत्ते से कुपात्र!!

यूँ तो पत्रकार होते राष्ट्र के सच्चे प्रहरी!
देश दुनिया के घटित पर दृष्टि रखते हैं ये गहरी!!

इनकी लेखनी में समाहित है असि की प्रखर धार!
स्वार्थी युग में भला फिर कौन ठाने इनसे रार!?!

देश समाज का सच सामने लाना ही इनका काज!
पर निष्ठा-क्रय-विक्रय युग में कौन सुनाय सच आज!!

आह! चारण से गुण गाते हैं बिके हुए पत्रकार!
निर्भीक निष्पक्ष ही होते लोकतंत्र के आधार!!

युग ऐसा भी था स्तुत्य जब सत्य हित गवाएंँ प्राण!
अथक साधना कर पराधीन देश का लौटाय मान!!

जन-जन को किया जागरूक निज परम कर्तव्य जान!
नव राष्ट्र निर्माण में इनका अकथनीय योगदान!!

जन-जन की प्रार्थना फिर पाएँ ये खोई निज गरिमा!
जागृत कर्तव्यबोध हो इनका जगत् गाये महिमा!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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