Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

लाॅकडाउन का संयुक्त परिवार

जितेंद्र शिवहरे
महू, इंदौर

********************

                  सुनैना अभी-अभी छाछ की हाण्डी रखने आयी थी। तीनों भाभीयां ने सुनैना को देख लिया। उसे रोककर वे तीनों उससे बातें करने लगी। तीनों भाभीयां चूपके से अनिल को शरारात भरी आंखों से देख रही थी। अनिल शरमा के यहाँ-वहां हो जाता। सौमती का पुरा परिवार आज उसके साथ था। लाॅकडाउन चल रहा था। दोनों बेटे अपने परिवार सहित विधवा मां सौमती के यहां पैतृक गांव आये थे। उन दोनों बेटों के चार बेटे और तीन बेटों की पत्नीयां तथा इन तीन जोड़ों के कुल पांच बच्चों से सौमती का सुना घर खुशियों से भर उठा था। सौमती का छोटा बेटा रामचंद्र अपनी मां के साथ ही था। उसकी पांच बेटीयां थी। सौमती के मंझले बेटे दयाराम का पुत्र अनिल विवाह योग्य हो चला था। सौमती ने उसी गांव की सुनैना की बात अनिल के लिए चलाई थी। मगर दयाराम अपने पढ़े-लिखे अनिल के लिए वैसी ही बहु चाहते थे ताकी समय आने पर वह नौकरी भी कर सके। सुनैना गांव में पली बढ़ी थी, यह सोचकर दयाराम इस रिश्तें से सहमत नहीं थे।
सौमती के पति सेवकराम जब स्वर्ग सिधारे तब से ही परिवार में बिखराव आरंभ हो गया था। बड़ा बेटा शिवराम अपने दोनों बेटों को लेकर इंदौर में बस गया। दयाराम रामपुर गांव से कुछ दुर शहर महू में जा बसा। सौमती रामपुर को कभी छोड़ नहीं पाई।
खेतों में फसल काटी जा चूकी थी। मगर सौमती की फसल उसके आंगन में लहलहा रही थी। बच्चों की धमा-चौकड़ी से घर की रौनक लौट आई थी। आंगन में खड़ा आम का पेड़ इस बार कुछ अधिक ही मनमोहक था। पेड़ में भर-भर के कच्ची कैरी उग आई थी। मानो बच्चों के आगे वह अपना सबकुछ लुटा देना चाहता था। तीनों बहुओं ने चूका-चूल्हे की व्यवस्था अच्छी तरह से संभाल ली थी। घर के बने प्राकृतिक मसालों की सुंगध सीधे हृदय में उतरी जाती। दुध, मक्खन की घर में कमी न थी। सौमती ने अपना खाद्य भंडार बच्चों के लिए खोल दिया था। आखरोट, भुने हुये सुखे चने, मुंगफली और भी कितना कुछ जमा था सौमती के पास। आंगन से लगे खेत में हरी सब्जियां उग रही थी। वहीं कुंये पर जब शिवराम ने डुबकी लगाई तब सभी चौंक गये। पीछे से दयाराम भी कुद गया। बच्चें तालियां बजा रहे थे। रामचन्द्र कहां रूकने वाला था। उसकी छलांग सबसे अच्छी थी। तीनों भाई आज वैसे ही कुँए में नहा रहे थे जैसे बचपन में नहाया करते थे। शादी के बाद तीनों के मध्य आये मनमुटाव आज उन्हें याद नहीं थे। सौमती कुएं की मुंडेर पर खड़ी थी। तीनों बेटों को एक साथ नहाता देख वह भाव विभोर थी।
आंगन में दाल बाफले की पार्टी संज गयी। जो बहुंए एक-दुसरे को फुंटी आंख नहीं सुहाती थी, आज तीनों मिलकर खाना परोस रही थी। वह भी हंसते-मुस्कुराते हुये। तीनों भाभीयों ने एक स्वर में सुनैना से अनिल की शादी होनी चाहिए, इस बात की वकालत कर दी। सुनैना गांव में रहकर भी शहर जाकर पढ़ाई करती थी। अनिल शहर में सुनैना से मिल लिया करता था। दोनों परस्पर प्रेम करने लगे थे। सुनैना काॅलेज जाने लगी थी, ये सोचकर दयाराम सोच में पड़ गये। अनिल अपनी भाभीयों को बता चुका था कि उसे सुनैना पसंद है। बस फिर क्या था उसी दिन खाना खाते-खाते अनिल और सुनैना की शादी की बात तय हो गयी। सौमती प्रसन्न थी। लाॅकडाउन में ही सही, उसका पुरा परिवार एक-दुसरे के निकट तो आया।

परिचय :- जितेंद्र शिवहरे आपकी आयु – ३४ वर्ष है,  इंदौर निवासी जितेंद्र शा. प्रा. वि. सुरतिपुरा चोरल महू में सहायक अध्यापक के पद पर पदस्थ होने के साथ साथ मंचीय कवि भी हैं, आपने कई प्रतिष्ठित मंचों पर कविता पाठ किया है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *